इसलिए घटेंगे पीठासीन अधिकारियों के अधिकार, जानिए पूरी बात...
विधानमंडलों और संसद में अक्सर पीठासीन अधिकारियों के मसले अध्यक्ष और सभापतियों के निर्णयों की निष्पक्षता सवालों के घेरे में आती है। पीठासीन अधिकारियों ने इसका जवाब खुद तलाशने का फैसला किया है। सदन में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकार में कटौती की जाएगी।
लखनऊ: विधानमंडलों और संसद में अक्सर पीठासीन अधिकारियों के मसले अध्यक्ष और सभापतियों के निर्णयों की निष्पक्षता सवालों के घेरे में आती है। पीठासीन अधिकारियों ने इसका जवाब खुद तलाशने का फैसला किया है। सदन में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकार में कटौती की जाएगी। इसके लिए गठित कमिटी की रिपोर्ट अप्रैल तक आने की उम्मीद है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को 7वीं सीपीए रीजनल कॉन्फ्रेंस के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि दलबदल कानून पर पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकार सीमित किए जाएंगे। इसके लिए कई राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की चिंता के बाद एक कमेटी का गठन किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पंजाब और केरल राज्य के पारित प्रस्ताव पर कहा कि केंद्र के दायरे के कानून को प्रत्येक राज्य को लागू करना होगा। इसमें कहीं कोई संशय नहीं होना चाहिए।
ओम बिरला ने शुक्रवार को राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन के समापन के बाद राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।उन्होंने कहा कि सम्मेलन से पूर्व देहरादून में हुई बैठक में कई पीठासीन अधिकारियों ने ही उनके असीमित अधिकारों पर चिंता जताई थी। इन्हें सीमित करने पर भी सहमति बनी। पीठासीन अधिकारियों के अधिकार नियम-प्रक्रियाओं के माध्यम से सीमित करके अगर सदन चलाया जाए तो बेहतर परिणाम सामने आएंगे। दल-बदल कानून पर पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकारों को लेकर समय-समय पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियां की हैं। इसलिए पीठासीन अधिकारियों का यह मत बना है कि इसकी निश्चित नियम व प्रक्रियाएं होनी चाहिए।
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पिछले साल देहरादून में सभी पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन हुआ था। उसमें तीन कमिटियां बनी थीं। पहली कमिटी पीठासीन अधिकारियों के अधिकारों को सीमित करने पर है। सदन में अक्सर सदस्यों के वेल में आने, अमर्यादित आचरण किए जाने से सदन की कार्यवाही बाधित होती है। इसके लिए सदस्यों पर कार्रवाई के नियम तय करने के लिए दूसरी कमिटी बनाई गई है। विधानमंडलों की कार्यवाही के नियमों में एकरूपता लाने और बजट पर अधिक व सार्थक चर्चा तय करने के लिए तीसरी कमिटी बनाई गई है। जल्द सभी विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों, संसदीय कार्यमंत्रियों और विधायक दलों के नेताओं का सम्मेलन बुलाया जाएगा। इसमें तीनों कमिटियों की रिपोर्ट रखकर उसे लागू करने पर फैसला होगा।
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया, एक ही प्लैटफॉर्म पर संसद व विधानमंडलों की कार्यवाही लाने के लिए उनको डिजिटाइज किया जा रहा है। लोकसभा के 40 लाख से अधिक डिबेट डिजिटल हो चुके हैं। देश को चार क्षेत्र में बांटकर सभी विधायकों के लिए विधायी प्रक्रियाओं पर अलग-अलग प्रशिक्षण सत्र भी होंगे। वहीं, संसद की संस्था प्राइड भी विधानसभाओं में जाकर सदस्यों और अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण देगी। राज्यों के बजट निर्माण और खर्च की प्रक्रिया प्रभावी हो, इसके लिए सभी सदनों के पब्लिक अकाउंट कमिटियों का भी अगले साल देशव्यापी सम्मेलन होगा। यह भी सुझाव आया है कि सभी सदनों में हर साल श्रेष्ठ विधायकों को सम्मानित किया जाए और किसी भी विधेयक को सदन में लागू होने से पहले उस पर सेमिनार हो, ताकि सदस्यों को पूरी जानकारी हो सके।