'सभापति को अपमानित करने का इरादा...', उपराष्ट्रपति पर महाभियोग को लेकर लेकर विपक्ष पर भड़के रिजिजू

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसे संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया और कहा कि हम उनके मंसूबों को सफल होने नहीं देंगे।

Written By :  Shivam Srivastava
Update:2024-12-11 12:05 IST

Kiran Rijiju (Social Media)

No Confidence Motion: राज्यसभा में आज सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर जबर्दस्त हंगामा देखने को मिला। सत्ता और विपक्ष के बीच गतिरोध के चलते सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना उनके अपमान के समान है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष सभापति का सम्मान नहीं करता, इसलिए उसने यह प्रस्ताव लाया। 


किसान के बेटे का हो रहा अपमान

राज्यसभा में किरन रिजिजू ने कहा कि 72 साल बाद एक किसान के बेटे ने उपराष्ट्रपति का पद संभाला है और वह देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष उनके खिलाफ आरोप लगा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष सदन के बाहर उपराष्ट्रपति पर नकारात्मक आरोप लगा कर उनका अपमान कर रहा है। रिजिजू ने यह भी कहा कि हम हमेशा चेयर का सम्मान करते हैं और विपक्ष की नकारात्मक मंशा को सफल होने नहीं देंगे।

सोनिया-सोरोस लिंक पर मांगा जवाब

रिजिजू ने सदन में यह मुद्दा उठाया कि सोनिया गांधी और अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस के बीच जो संबंध हैं, उसका खुलासा होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्यों विपक्ष की नेता उस फाउंडेशन की सदस्य हैं, जो देश में अव्यवस्था और अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रहा है? क्या कांग्रेस इस पर माफी मांगेगी? इसी मुद्दे पर बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस से जवाब मांगा और कहा कि गलत मंशाओं को सफल नहीं होने दिया जाएगा, और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा।

धनखड़ पर विपक्ष ने लगाया पक्षपात का आरोप

धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए विपक्ष ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी दलों के पास धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

उन्होंने इसे कष्टकारी फैसला बताते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता तक को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है जबकि सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष के बड़े नेताओं पर भी बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

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