कपूर खानदान का 'चिंटू' आखिर कैसे बन गया बॉलीवुड का 'ऋषि', यहां जानें
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर को गुरुवार को 67 साल की उम्र में निधन हो गया। वह काफी लंबे समय में कैंसर से पीड़ित थे। बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उनको मुंबई के एनएच. रिलायंस हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था।
मुंबई: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर को गुरुवार को 67 साल की उम्र में निधन हो गया। वह काफी लंबे समय में कैंसर से पीड़ित थे। बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उनको मुंबई के एनएच. रिलायंस हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी।
अमिताभ बच्चन ने ऋषि कपूर के निधन की पुष्टि की है। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर कहा कि वो गया। ऋषि कपूर गए। अभी उनका निधन हुआ। मैं टूट गया हूं। कपूर फैमिली से रणधीर कपूर ने ऋषि के निधन की खबर को कंफर्म किया है।
बता दे ऋषि कपूर को बुधवार उनके परिवार ने एच एन रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया था। उनके भाई रणधीर ने बताया था कि उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी।
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ऐसा था ऋषि का पारिवारिक जीवन
ऋषि कपूर का जन्म 4 सितम्बर, 1954 को मुम्बई में राज कपूर के घराने में हुआ। तीन भाइयों में ऋषि कपूर मझले भाई हैं उनसे पहले रणधीर कपूर और बाद में राजीव कपूर हैं।
नीतू और ऋषि की सगाई 1979 के शुरू में हुई थी। ऋषि कपूर और नीतू सिंह की एक बेटी और एक बेटा है। उनकी बेटी का नाम रिधीमा कपूर और बेटे का नाम रणबीर कपूर है। ऋषि कपूर बचपन से ही फिल्मों में जाना चाहते थे।
ऐसे रखा था फ़िल्मी दुनिया में कदम
फिल्मों के प्रति उनका रुझान तब देखने को मिला जब उनके पिता राज कपूर ‘मेरा नाम जोकर’ की कास्टिंग कर रहे थे। एक शाम खाने के दौरान अचानक राज कपूर ने अपनी पत्नी (ऋषि कपूर की मां) से पूछा ‘क्या मैं छोटे जोकर के रोल के लिए चिंटू को ले लूं?
राज कपूर की पत्नी ने कहा कि अगर इसकी पढ़ाई डिस्टर्ब न हो तो ठीक है। जैसे ही यह बात ऋषि कपूर को पता चली उनके अंदर तो पटाखे फूटने लगे।
ऋषि कपूर का फिल्मों का सफर
1973 में आई “बॉबी” फिल्म की रिकॉर्ड-तोड़ कामयाबी के बाद ऋषि के सामने चुनौती थी दर्शकों की गगनचुंबी हो चुकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की।
अपने चॉकलेटी चेहरे और “बॉबी” वाले रोमांटिक रोल की बदौलत उन्होंने प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग खड़ा कर लिया था, लेकिन इस दर्शक समूह को बनाए रखना मुश्किल भरा था।
“बॉबी” के बाद 1975 में आई “खेल-खेल में” ऋषि के खाते में दर्ज बड़ी सफलता थी। इस रोमांटिक-म्यूजिकल-सस्पेंस फिल्म ने ऋषि के कॅरियर को पुनः गति दी।
“हम किसी से कम नहीं” ने एक बार फिर रोमांटिक म्यूजिकल फिल्म में ऋषि की बादशाहत सिद्ध की, तो “अमर अकबर एंथोनी” ने उन्हें मल्टी हीरो फिल्म में कॉमेडी और रोमांस के तड़के के लिए मुफीद पाया। “दूसरा आदमी” में उन्होंने उम्र में अपने से बड़ी स्त्री के प्रति आकर्षित विवाहित पुरुष की जटिल भूमिका की।
“सरगम” और “कर्ज” जैसी हिट फिल्में देने के बाद 1982 में वे एक बार फिर अपने पिता के निर्देशन में “प्रेम रोग” में नजर आए।
1985 में वे एक बार फिर अपनी पहली को-स्टार डिम्पल के साथ “सागर” में आए और दोनों की केमिस्ट्री देखते ही बनती थी।
“नगीना”, “चाँदनी”, “हिना”, “बोल राधा बोल”, “दीवाना”, “दामिनी” आदि से होते हुए वे नब्बे के दशक तक हीरो की पारी खेलते रहे।
नई सदी में “हम-तुम”, “फना”, “नमस्ते लंदन” जैसी फिल्मों में वे पिता की भूमिका में आने लगे।
“लक बाय चान्स” में उन्होंने हैरान-परेशान फिल्म प्रोड्यूसर के रोल में गुदगुदाया, तो “लव आजकल” में अपने पहले प्यार को याद कर रहे बुजुर्ग सिख की भूमिका में यादगार अभिनय कर अपनी धाक जमाई।
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फिल्म अग्निपथ में दमदार अभिनय-
ऋषि कपूर को शुरू से देखने वाले लोग यह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि वह फिल्मों में खलनायक की भूमिका में दिखेंगे।
2012 में आई फिल्म अग्निपथ में उन्होंने जिस तरह से रउफ लाला का किरदार निभाया उसके बाद निर्माता निर्देशक उनके साथ काम करने के लिए और ज्यादा इच्छुक हो गए।
फिल्म अग्निपथ में ऋषि कपूर खलनायक की भूमिका में दिखे। वैसे ऋषि कपूर शुरुआत में यह फिल्म करने को तैयार नहीं थे, लेकिन निर्माता और निर्देशक द्वारा उनमें विश्वास व्यक्त किए जाने के बाद वह राजी हो गए।
उन्होंने 40 साल के फिल्मी कॅरियर में पहली बार उन्होंने अग्निपथ के लिए ‘आडिशन’ दिया था। उनकी आने वाली फिल्मों ‘बेशर्म’ जिसमे उन्होंने अपनी पत्नी नीतू सिंह और बेटे रणबीर कपूर के साथ काम किया है।
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