वाराणसी: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (18 फरवरी) को अपने वाराणसी प्रवास के दौरान संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अपने विरोधियों को जवाब भी दिया।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, कि 'इन दिनों हमारे बयानों की बड़ी चर्चा होती है। हम इन चर्चाओं पर थोड़ा भी ध्यान नहीं देते। हम सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं। क्योंकि हम राष्ट्र भक्त हैं। हमारी राष्ट्रीयता किसी सत्ता से जुड़ी नहीं है।'
हमारे यहां टिकट वगैरह नहीं मिलता
मोहन भागवत ने कहा, 'संघ में केवल देने का काम होता है। हमारे यहां टिकट वगैरह नहीं मिलता। आप केवल खटते रहेंगे। कभी गले में एक माला क्या एक फूल भी नहीं पड़ेगा। हम स्वयंसेवक को कुछ मिलना-जुलना नहीं है। राष्ट्र की सेवा करनी है, हम करते ही रहेंगे। हमको किसी से भी कोई अपेक्षा नहीं है।'
हम कर्म करते हैं
भागवत ने कहा, 'हमको ऐसा भारत खड़ा करना है, जो विश्व पटल पर अपनी शक्ति दिखा सके। हमको तो भारत का भाग्योदय करना है लेकिन ऐसा ना हो कि भारत ही बदल जाए।' उन्होंने कहा, कि 'विश्व में भारत का बड़ा महत्व है। दुनिया में अच्छा डॉक्टर खोजना है तो लोग भारत में ही ढूंढते हैं। हमारे साथ किसी को भी व्यापारिक संबंधों की निगरानी नहीं करनी पड़ती है। हम कर्म करते हैं।'
भारत का भाग्य बदलने की जरूरत है
उन्होंने कहा, 'भारत का भाग्य बदलने की जरूरत है। ये सभी जानते हैं। एक समय हम सर्वोच्च देश थे। दुनिया के सिरमौर थे। नवीं सदी के बाद हम गिरते चले गए। आज ये हालात है कि शुरुआत से 9वीं सदी तक कई विदेशी आए और सब गिरता चला गया।'