विजयादशमी पर मोहन भागवत ने चीन को दिया कड़ा संदेश, पढ़ें भाषण की बड़ी बातें
राम मंदिर पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि 9 नवंबर को श्रीरामजन्मभूमि के मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया। भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया।
नागपुर: विजयादशमी के खास मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में शस्त्र पूजा की। इसके बाद मोहन भागवत ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। मोहन भागवत ने कहा कि इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, लेकिन भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।
भागवत ने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए। हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है।
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सर्वोच्च न्यायालय ने बनाया इतिहास
राम मंदिर पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि 9 नवंबर को श्रीरामजन्मभूमि के मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया। भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया।
युवाओं को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि युवा पीढ़ी हमारी बातों को सुने, उस पर अमल करे तो हमें उनके साथ चर्चा करनी पड़ेगी। अगर हम उनसे चर्चा किए बिना कुछ करते हैं तो जबतक उनकी मजबूरी रहेगी तबतक ही वे बात पर अमल करेंगे। लेकिन अगर हम चर्चा करेंगे तो वे दिल से उसे स्वीकार करेंगे।
कोरोना महामारी से भारत में नुकसान कम
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कोरोना महामारी से भारत में नुकसान कम हुआ है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला।
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संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना काल में डॉक्टर, सफाईकर्मी, नर्स उच्चतम कर्तव्यबोध के साथ सेवा में जुट गए, लोग बिना आह्ववान के सेवा में जुट गए। लोग अपनी तो चिंता कर रही रहे थे, दूसरों की भी चिंता कर रहे थे जो पीड़ित थे वे अपनी पीड़ा भूलकर दूसरों की सेवा में लग गए, ऐसे कई उदाहरण सामने आए।
उन्होंने कहा कि अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला। स्वतंत्रता के बाद धैर्य, आत्मविश्वास व सामूहिकता की अनुभूति अनेकों ने पहली बार पाई है।
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स्वदेशी की नीति से भरा है वोकल फॉर लोकल'
मोहन भागवत ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए स्वदेश की नीति आवश्यक है और 'वोकल फॉर लोकल' स्वदेशी की नीति से भरा हुआ है। इसके जरिए हम अपनी स्वदेशी की भावना को आगे बढ़ा सकते हैं और इसे पूरा कर सकते हैं। यह स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभहै।परन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा।इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करनाहोगा,तभी उचित दिशामें चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी।
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