लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा गोरखपुर का किसान, कही ये बड़ी बात

दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए एक किसान लिट्टी की माला पहनकर पहुंचा। गोरखपुर के संजय यादव शुक्रवार को लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे।

Update:2021-02-06 10:40 IST
संजय यादव से जब लिट्टी की माला पहनने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह नुमाइश नहीं बल्कि विरोध प्रकट करने का तरीका है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन करीब ढाई महीने से जारी है। किसानों ने शनिवार को देशभर में चक्का जाम का ऐलान किया है।

किसानों ने कहा है कि दोपहर 12 से 3 बजे के बीच गाड़ियों को नहीं चलने दिया जाएगा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा।

किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए दूर-दूर से लोग गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। अलग-अलग अंदाज में नई-नई तरकीबें अपनाकर लोग किसान आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर रहे हैं।

लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा गोरखपुर का किसान, कही ये बड़ी बात (फोटो:सोशल मीडिया)

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अनाज का भंडारण होगा तो महंगाई बढ़ेगी

इसी कड़ी में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए एक किसान लिट्टी की माला पहनकर पहुंचा। गोरखपुर के संजय यादव शुक्रवार को लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे।

संजय यादव से जब लिट्टी की माला पहनने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह नुमाइश नहीं बल्कि विरोध प्रकट करने का तरीका है। उन्होंने ऐसा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए है।

वे शहरों में रहने वाली जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि जब अनाज का भंडारण होगा तो वह महंगा हो जाएगा और इसका असर उनपर भी पड़ेगा। अनाज पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा।

लिट्टी की माला इसलिए पहनी है ताकि लोगों को इसकी कीमत के बारें में पता चल सके। ये तीनों कानून बने रहे तो रोटी महंगी हो जाएगी। सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।

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लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा गोरखपुर का किसान, कही ये बड़ी बात (फोटो:सोशल मीडिया)

सरकार नहीं झुकेगीः कृषि कानूनों पर विपक्ष का हमला

कृषि कानूनों के मुद्दे पर संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार से साफ है कि सरकार भी इस मुद्दे पर झुकने के मूड में नहीं दिख रही है। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरते हुए किसानों को धोखा देने का आरोप लगाया। विपक्ष ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सरकार आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही है।

सरकार की ओर से विपक्ष को करारा जवाब देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विभिन्न राज्यों और किसानों के साथ परामर्श करने के बाद ही तीनों नए कृषि कानून बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि बार-बार इसे काला कानून बताने वाला विपक्ष यह तो स्पष्ट करे कि इसमें काला क्या है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि खून की खेती तो कांग्रेसी ही कर सकती है। हालांकि बाद में इसे लेकर काफी विवाद होने के बाद इसे राज्यसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया।

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