SBI के ये नए नियम 1 अक्टूबर से लागू, जो ग्राहकों की जिंदगी में ला सकते हैं बदलाव
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही रविवार (1 अक्टूबर) से शुरू हो रही है। इसमें कई नियमों को लेकर बदलाव किए जा रहै हैं, जो लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। 1 अक्टूबर से एसबीआई के पांच पूर्व सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक के चेक और इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (आईएफएससी) अमान्य हो जाएंगे। ग्राहकों को नई चेक बुक के लिए इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम या बैंक शाखा में जाकर अप्लाई करना होगा।
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही रविवार (1 अक्टूबर) से शुरू हो रही है। इसमें कई नियमों को लेकर बदलाव किए जा रहै हैं, जो लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
1 अक्टूबर से एसबीआई के पांच पूर्व सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक के चेक और इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (आईएफएससी) अमान्य हो जाएंगे। ग्राहकों को नई चेक बुक के लिए इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम या बैंक शाखा में जाकर अप्लाई करना होगा।
न्यूनतम बैलेंस लिमिट
एसबीआई ने बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस लिमिट को कम कर दिया है। अब मेट्रो शहरों में तीन हजार रुपए का न्यूनतम बैलेंस अनिवार्य होगा। पहले यह सीमा पांच हजार रुपए थी। शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त क्रमशः 3,000 रुपए, 2,000 और 1,000 बरकरार रहेगी। बैंक ने पेंशनरों और नाबालिगों को न्यूनतम बैलेंस से छूट भी दी हैं।
खाता बंद कराने पर शुल्क नहीं
एक अक्टूबर से एसबीआई ने ही अकाउंट बंद कराने के शुल्कों में भी बदलाव किया है। अगर कस्टमर खाता खुलवाने के 14 दिनों के अंदर और एक साल बाद बंद करवाता है तो उससे शुल्क नहीं देना पड़ेगा। लेकिन इस अवधि के बाद अकाउंट बंद करवाने पर 500 रुपए और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) शुल्क वसूला जाएगा।
कॉल रेट होंगी सस्ती
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल कनेक्ट करने के लिए एक टेलीकॉम ऑपरेटर की ओर से दूसरे को दिए जाने वाले कॉल टर्मिनेशन शुल्क को 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति मिनट कर दिया है। एक अक्टूबर से नई दर लागू होगी। इससे टेलीकॉम कंपनियां कॉल दरें सस्ती कर सकती हैं, जिसका फायदा आम आदमी को मिल सकता है।
ईटीसी प्रणाली 1 अक्टूबर से
राष्ट्रीय राजमार्गों की सभी लेनों में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली 1 अक्टूबर से लागू हो गई है। इसके लिए जरूरी फास्टैग अब ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। एनएचएआई ने माई फास्टैग और फास्टैग पार्टनर नामक दो मोबाइल एेप भी लॉन्च किए हैं।