मजदूरों प्रवासी मजदूरों के मामलें पर SC ने केंद्र को दिया जांच कर कार्यवाही का आदेश
कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए देश भर में लागू लाकडाउन के कारण कई प्रदेशों में दूसरे राज्यों के मजदूर फंसे हुए है। ऐसे में कई राज्य सरकारे जहां अपने मजदूरों को वापस बुलाने के लिए प्रयास कर रही है तो वहीं कुछ प्रदेश लाकडाउन समाप्त होने का इंतजार कर रहे है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए देश भर में लागू लाकडाउन के कारण कई प्रदेशों में दूसरे राज्यों के मजदूर फंसे हुए है। ऐसे में कई राज्य सरकारे जहां अपने मजदूरों को वापस बुलाने के लिए प्रयास कर रही है तो वहीं कुछ प्रदेश लाकडाउन समाप्त होने का इंतजार कर रहे है। इस बीच प्रवासी मजदूरों का यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। जिसकी सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जांच कर कार्यवाही करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले की जांच करने और दो राज्यों के बीच मजदूरों की आवाजाही के मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
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प्रवासी मजदूरों की आवाजाही जारी
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों की आवाजाही जारी है इसको कैसे सत्यापित किया जायेगा।
इसका जवाब देते हुए याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि कुछ राज्य सरकारों ने कहा है कि वे लोगों को उनके मूल गांवों में वापस भेज देंगे, लेकिन गृह मंत्रालय की ओर से किसी भी आवाजाही की अनुमति नहीं है।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि गृह मंत्रालय ने मजदूरों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं। बता दे कि पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने मजदूरों की आवाजाही के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कहा था कि मजदूरों को किसी भी प्रकार से एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही की अनुमति नहीं होगी।
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प्रवासी मजदूरों के पास काम नहीं
इन दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि लाकडाडन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूरों को कुछ शर्ताें के साथ प्रदेश की सीमा में ही उनके कार्यस्थल तक जाने की मंजूरी दी जायेगी।
एक अनुमान के मुताबिक देश में ऐसे मजदूरों की संख्या करीब तीन से चार करोड़ है जो दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी कमाने जाते है। पहले लॉकडाउन लागू होने के बाद बड़ी संख्या में दिल्ली में इनका अपने राज्यों की पलायन सामने आया तो पहला लाकडाउन समाप्त होने और दूसरा लाकडाउन शुरू होने के दौरान मुंबई के बांद्रा में इनका जमवाड़ा सामने आया था।
दरअसल, इन प्रवासी मजदूरों के पास काम नहीं है और लंबे लाकडाउन के कारण इनकी जमा पूंजी भी समाप्त हो गई है, ऐसे में इनके सामने भोजन-पानी की दिक्कत शुरू हो गई है। हालांकि राज्य सरकारे इनके लिए भोजन-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम कर रही है लेकिन इन्हे अब जल्द से जल्द अपने घर लौटने की जल्दी है।
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