अब मचा तहलकाः दूसरी लहर सामने, तीसरी की चेतावनी, सावधानी से बचोगे

कोरोना वायरस संक्रमण की नयी लहर आ गयी है जिसने यूरोप के तमाम देशों और अमेरिका को अपनी चपेट में ले लिया है जबकि भारत समेत एशिया में भी फिर से पैर फैलाना शुरू कर दिया है। हालात संवेदनशील हैं।

Update: 2020-11-28 12:32 GMT
अब मचा तहलकाः दूसरी लहर सामने, तीसरी की चेतावनी, सावधानी से बचोगे

नील मणि लाल

लखनऊ। भारत ने इंटरनेशनल उड़ानों पर 31 दिसंबर तक रोक लगा दी है। देश के भीतर ही कई राज्यों में प्रवेश करने के लिए लोगों के लिए कोरोना का निगेटिव टेस्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। यूरोप, अमेरिका और तमा अन्य देशों में भी इंटरनेशनल आवागमन प्रतिबंधित है। जिन देशों में कोरोना का ज्यादा कहर है वहां के यात्रियों पर ढेर सारी बंदिशें हैं।

कोरोना वायरस संक्रमण की नयी लहर

ये सब इसलिए कि कोरोना वायरस संक्रमण की नयी लहर आ गयी है जिसने यूरोप के तमाम देशों और अमेरिका को अपनी चपेट में ले लिया है जबकि भारत समेत एशिया में भी फिर से पैर फैलाना शुरू कर दिया है। हालात संवेदनशील हैं। ये समय पूरी शिद्दत से एहतियात बरतने का है। हमने - आपने बीते आठ महीनों से जो धैर्य दिखाया है और जो सावधानियां बरतीं हैं उनको आगे भी बरकरार रखने की जरूरत है। कोरोना वायरस से सुरक्षा देने वाली अभी वैक्सीन आने में दो तीन महीनों का समय है सो तब तक तीन बेहद आसान उपाय हमारे पास हैं –मास्किंग, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ़ सफाई।

तीसरी लहर की चेतावनी

डब्ल्यूएचओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डेविड नाबारो ने यूरोप को फटकार लगाते हुए कहा है कि गर्मियों में हालात बेहतर होने के बावजूद कई देशों ने लापरवाही दिखाई और अब उन्हें और भी घातक तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है। डेविड नाबारो ने कहा कि जिस तरह के हालात चल रहे हैं, बहुत मुमकिन है कि 2021 की शुरुआत में यूरोप को महामारी की घातक तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है। इस वक्त सबकी उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हैं लेकिन नाबारो के अनुसार वैक्सीन के बाजार में आने से पहले यूरोप को शायद काफी बुरे हालात देखने होंगे। नबारो ने कहा - गर्मियों में जब पहली लहर काबू में आ गई थी, तब वे आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने से चूक गए।

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हमारे सामने दूसरी लहर

अब हमारे सामने दूसरी लहर है अगर अब भी वे जरूरी बुनियादी ढांचा खड़ा नहीं करते हैं, तो अगले साल की शुरुआत में हमारे पास तीसरी लहर होगी। नबारो के अनुसार एक बड़ी समस्या यह रही कि बहुत से नेताओं को तो यह समझ में ही नहीं आया कि वायरस ‘एक्स्पोनेंशियली’ फैलता है, ‘अरिथमैटिकली’ नहीं।

एक्स्पोनेंशियल का मतलब होता है कि संख्या एक सप्ताह में आठ गुना बढ़ सकती है, दो हफ्तों में यह 40 गुना हो सकती है और तीन हफ्तों में 300 गुना, फिर चार हफ्तों में शायद 1000 गुना से भी ज्यादा और इसी तरह यह बढ़ती रहेगी। अगर हम चाहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो और हमारी स्वतंत्रता भी बनी रहे, तो हमें कुछ बुनियादी नियमों का पालन करना ही होगा।

बंदिशें जारी

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते सभी देशों में बंदिशें किसी न किसी रूप में लागू हैं। भारत में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने कमर्शियल इंटरनेशनल फ्लाइट्स की आवाजाही पर रोक 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। हालांकि, इस दौरान वंदे भारत मिशन के तहत जाने वाली खास उड़ानें जारी रहेंगी। इससे पहले डीजीसीए ने इंटरनेशनल फ्लाइट पर रोक 30 नवंबर तक बढ़ाने का आदेश दिया था।

कमर्शियल इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक 8वीं बार बढ़ाई गई है। 23 मार्च से डीजीसीए ने इंटरनेशनल फ्लाइट पर 24 मार्च से घरेलू उड़ानों पर रोक लगा दी थी। घरेलू उड़ानों को 25 मई से सख्त गाइडलाइन के साथ शुरू कर दिया गया था।

इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर लगी रोक

इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर लगी रोक को पहली बार 14 अप्रैल को बढ़ाया गया था। तब यह यह रोक 3 मई तक कर दी गई थी। तब से इसे हर महीने बढ़ाया जा रहा है। जहाँ तक डोमेस्टिक फ्लाइट्स की बात है तो अनेक राज्यों में यात्रियों के लिए कोरोना का आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है।

मुम्बई में तो बाहर से आने वाले सभी यात्रियों के लिए कोरोना टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। यही हाल उत्तराखंड और यूपी का है। यानी कोरोना का संक्रमण एक जगह से दूसरी जगह फैलने से रोकने के उपाय फिर से किये जा रहे हैं। इसके अलावा अब राज्यों में रात का कर्फ्यू भी फिर से लौट आया है।

विदेशों की बात करें तो जर्मनी, इटली, यूके, स्पेन आदि यूरोपियन देशों में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। चीन में शंघाई में कुछ केस मिलने के बाद कई मोहल्लों को पूरी तरह सील कर दिया गया है। अमेरिका में रोजाना 2 लाख नए केस सामने आ रहे हैं और कई नए शहरों में लॉकडाउन कर दिया गया है। भूटान अभी तक बहुत महफूज़ था लेकिन अब वहां कोरोना के केस बढ़ने लगे हैं लेकिन अच्छी बात ये है कि वहां कोरोना से किसी की मौत की खबर नहीं है।

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कहाँ तक पहुंची वैक्सीन

भारत में फिलहाल पांच संभावित वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। इनमें सबसे आगे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की संभावित वैक्सीन हैं, जिसके तीसरे चरण के ट्रायल के लिए एनरोलमेंट की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वहीं भारत बायोटेक ने तीसरा चरण शुरू किया है। जाइडस कैडिला ने दूसरा चरण पूरा कर लिया है।

इनके अलावा रूस की स्पूतनिक-5 का 2-3 चरण का ट्रायल शुरू हुआ है और बायोलॉजिकल ई 1-2 चरण के ट्रायल कर रही है। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के ट्रायल के अभी तक के नतीजों में ये औसतन 70 फीसदी असरदार और सेफ नजर आयी है जबकि भारत बायोटेक की वैक्सीन 60 फीसदी असरदार मिली है। इनके मुकाबले अमेरिका की फाइजर कंपनी की वैक्सीन 95 फीसदी असरदार मिली है।

वैक्सीन से शरीर में इम्म्यूनिटी जनरेट होती है

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डॉ बलराम भार्गव का कहना है कि रेस्पिरेटरी वायरस के खिलाफ कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत असरदार नहीं है। उन्होंने बताया वैक्सीन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन तीन चीजों को जरूरी बताता है - सेफ्टी यानी इंसानों के लिए वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, इम्यूनोजेनिसिटी यानी वैक्सीन से शरीर में बीमारी के प्रति प्रभावी इम्म्यूनिटी जनरेट होती है या नहीं और प्रभाव यानी वायरस के खिलाफ वैक्सीन कितनी प्रभावी होती है। डॉ भार्गव का कहना है कि अगर हमें 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रभाव मिलता है, तो वैक्सीन को इस्तेमाल किया जा सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने भी कहा है कि हो सकता है कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को फाइजर की वैक्सीन की जरूरत ही न पड़े क्योंकि देश में टेस्ट की जा रही संभावित वैक्सीन्स अभी तक उम्मीद के मुताबिक नतीजे दे रही हैं। वैसे, एक्सपर्ट्स का कहना है कि 50 फीसदी प्रभावी वैक्सीन संक्रमण फैलने से रोकने के लिए काफी नहीं है।

इस बीच सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए पहले से ही एहतियाती इंतजाम कर लें। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि वैक्सीन के कुछ न कुछ साइड इफ़ेक्ट होने हैं जिनमें सर दर्द, उल्टी, चक्कर आना आदि शामिल है।

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कोरोना की स्थिति

दुनिया में 6 करोड़ 7 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना हो चुका है जबकि 14 लाख 28 हजार मौतें हुईं हैं। 4 करोड़ 20 लाख लोग ठीक हो चुके हैं।

· अमेरिका - 1 करोड़ 28 लाख मामले आ चुके हैं। 2 लाख 62 हजार मौतें हुईं हैं। अमेरिका में प्रति 0.52 सेकेण्ड में एक केस आ रहा है और और प्रति 63.06 सेकेण्ड में एक मरीज की मौत हो रही है।

· भारत - 92 लाख 83 हजार मामले आ चुके हैं। 1 लाख 35 हजार मौतें हो चुकीं हैं। देश में प्रति 2.02 सेकेण्ड में एक केस और प्रति 3 मिनट में एक मरीज की मौत की रफ़्तार है।

· ब्राजील - 61 लाख 66 हजार केस आ चुके हैं और 1 लाख 70 हजार मौतें हो चुकीं हैं। यहाँ संक्रमण की रफ़्तार प्रति 3.27 सेकेण्ड में एक केस की है जबकि प्रति 4 मिनट में एक मौत हो रही है।

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