Sharad Pawar: ठाकरे का सियासी दांव आजमा कर और मजबूत हुए शरद पवार, इस्तीफे के तीर से साधे कई निशाने
Sharad Pawar: शरद पवार की ओर से नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बनाई गई कोर कमेटी की ओर से इस्तीफा नामंजूर किए जाने के बाद शरद पवार ने शुक्रवार को इस्तीफा वापस लेने का ऐलान कर दिया।
Sharad Pawar: एनसीपी के मुखिया शरद पवार के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र में आया सियासी भूचाल अब थम गया है। पवार ने दो मई को इस्तीफे का ऐलान करके हर किसी को चौंका दिया था। इस घोषणा के तुरंत बाद ही पवार पर इस्तीफे पर पुनर्विचार करने का दबाव बढ़ने लगा था। शरद पवार की ओर से नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बनाई गई कोर कमेटी की ओर से इस्तीफा नामंजूर किए जाने के बाद शरद पवार ने शुक्रवार को इस्तीफा वापस लेने का ऐलान कर दिया। पवार ने कहा कि देश के विभिन्न दलों के नेताओं के साथ सही मेरे सहयोगियों और महाराष्ट्र के शुभचिंतकों के दबाव की वजह से मैं इस्तीफा वापस लेने पर मजबूर हुआ।
जानकारों का मानना है कि शरद पवार ने इस्तीफे का दांव बहुत सोच समझकर चला था और उन्होंने अपने इस्तीफे के तीर से कई निशाने साधने में कामयाबी हासिल की है। किसी जमाने में शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे ने भी ऐसा ही सियासी दांव चला था और इसके जरिए अपनी ताकत दिखाने के साथ ही विरोधियों को पस्त भी कर डाला था। बाल ठाकरे की तरह शरद पवार ने एक बार फिर दिखा दिया है कि एनसीपी पर उनका अभी भी एक छत्र राज कायम है। उनकी सत्ता को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती।
कोर कमेटी के सभी सदस्यों का मिला समर्थन
शरद पवार क्रिकेट के काफी शौकीन रहे हैं और उनकी सियासी गुगली ने महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा भूचाल पैदा कर दिया था। उन्होंने इस्तीफे ऐलान के साथ ही नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोर कमेटी का भी गठन कर दिया था। हालांकि इस्तीफे की घोषणा के बाद से ही पार्टी नेताओं की ओर से उन पर इस्तीफा वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा था। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की ओर से भी लगातार इस्तीफा वापस लेने की मांग की जा रही थी। शुक्रवार को तो मुंबई में एक कार्यकर्ता ने आत्मदाह का प्रयास तक कर डाला।
कोर कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में 10 मिनट के भीतर ही पवार का इस्तीफा नामंजूर करने का फैसला कर लिया गया। बैठक शुरू होते ही कोर कमेटी के संयोजक और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने पवार के इस्तीफे को नामंजूर करने वाला प्रस्ताव रखा जिस पर कोर कमेटी के सदस्यों ने एक सुर से सहमति जताई।
लोकसभा चुनाव में पैदा हो जाएगा संकट
बैठक में जिस तरह पवार के इस्तीफे को नामंजूर करने का फैसला लिया गया, उससे साफ हो गया कि सभी सदस्य पहले से ही इस बात का मन बनाकर आए थे कि पवार का इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि देश में साल भर के भीतर लोकसभा चुनाव होने हैं। शरद पवार की अगुवाई के बिना इस सियासी जंग को लड़ना काफी मुश्किल होगा। ऐसे में किसी नए नेता को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपना भी उचित नहीं होगा।
पार्टी नेताओं का कहना था कि पवार को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते हुए पार्टी में अपनी इच्छा के मुताबिक बदलाव करना चाहिए। बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि आज देश और पार्टी को पवार साहब की जरूरत है और ऐसे में हमें उनका इस्तीफा मंजूर नहीं है। कोर कमेटी की ओर से इस्तीफा नामंजूर किए जाने के बाद पवार ने भी इस्तीफा वापस लेने का ऐलान कर दिया।
इमोशनल कार्ड के जरिए एकजुटता का संदेश
अब एनसीपी को इस पूरे घटनाक्रम को नए नजरिए से देखा जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस्तीफे के सियासी दांव के जरिए पवार ने एक बार फिर पार्टी पर अपनी पकड़ को साबित कर दिखाया है। अपने भतीजे अजित पवार के भाजपा से हाथ मिलाने की सियासी अटकलों के बीच पवार ने यह बड़ा कदम उठाया था।
इस्तीफे का इमोशनल कार्ड चलकर उन्होंने अपने पीछे पार्टी को एकजुट करने का बड़ा सियासी कौशल दिखाया है। इसके साथ ही यह भी साबित कर दिया है कि पिछले 24 वर्षों की तरह अभी भी पार्टी पर उनका एकछत्र राज कायम है और उनकी सत्ता को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती। वे आगे भी महाराष्ट्र की सियासत और देश में विपक्षी एकजुटता की महत्वपूर्ण धुरी बने रहेंगे।
ठाकरे के सियासी दांव का इस्तेमाल
पवार करीब 63 वर्षों से महाराष्ट्र की सियासत में सक्रिय हैं और उन्हें इस बात की बखूबी जानकारी है कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने भी इस्तीफे का दांव चलकर किस तरह पार्टी में अपनी पकड़ साबित की थी। ठाकरे ने अपने सियासी जीवन में दो मौकों पर पार्टी के प्रमुख पद से इस्तीफा देने का मन बनाया था मगर दोनों मौकों पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण उन्हें अपने कदम वापस खींचने पड़े थे। दोनों मौकों पर ठाकरे पार्टी में और मजबूत बनकर उभरे थे। पवार ने भी उस सियासी दांव का बखूबी इस्तेमाल किया है।
शरद पवार के इस कदम को काफी चतुराई वाली चाल माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि अपने भतीजे अजित पवार को सबक सिखाने और पार्टी पर अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने के लिए ही शरद पवार ने यह ऐलान किया था।
सियासी मौसम वैज्ञानिक हैं शरद पवार
शरद पवार सियासत के माहिर खिलाड़ी रहे हैं और यही कारण है कि जब उन्होंने इस्तीफा दिया तभी जानकारों का मानना था कि यह शरद पवार का कोई बड़ा सियासी दांव हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में एक कार्यक्रम के दौरान शरद पवार की तारीफ करते हुए कहा था कि उनसे बड़ा सियासी मौसम वैज्ञानिक देश में कोई दूसरा नहीं है।
पीएम मोदी का कहना था कि पवार में किसान वाली क्वालिटी भी है और किसान को मौसम का अंदाजा बहुत जल्दी लग जाता है। राजनीति की हवा किस ओर चलेगी, अगर यह जानना हो तो शरद पवार के साथ बैठना होगा।
अजित पवार को भी लगा बड़ा झटका
पीएम मोदी का यह बयान सच्चाई के काफी करीब है क्योंकि पवार ने मौसम का मिजाज भांपते हुए इस्तीफे का बड़ा सियासी दांव चला और अब वे पार्टी में और मजबूत बनकर उभरे हैं। शरद पवार का इस्तीफा वापस लेने का ऐलान अजित पवार के लिए भी बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। अजित पवार अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने खुलकर शरद पवार के इस्तीफे को स्वीकार करने की वकालत की थी। हालांकि उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी।
शरद पवार के इस्तीफे के बाद विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने भी उनसे बातचीत करके इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया था। देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में अब पवार महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली में भी विपक्षी एकजुटता में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।