Shashi Tharoor ने कांग्रेस को किया आगाह, कर्नाटक की जीत पर ज्यादा न इतराएं, लोकसभा चुनाव में बदल सकता है वोटर का मिजाज
Shashi Tharoor: कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसका कारण यह है कि राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के दौरान वोटर का मूड-मिजाज बदलता रहता है। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शशि थरूर का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Shashi Tharoor : कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में हाल में बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अपनी पार्टी को इस जीत पर ज्यादा न इतराने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को इस जीत पर ज्यादा आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसका कारण यह है कि राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के दौरान वोटर का मूड-मिजाज बदलता रहता है। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शशि थरूर का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उन्होंने पार्टी को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में 2019 में हुए लोकसभा चुनावों की भी याद दिलाई है। उन्होंने कहा कि इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसलिए यह नहीं माना जाना चाहिए की पार्टी ने राज्य स्तर के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है तो राष्ट्रीय चुनाव में भी वह बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहेगी।
कांग्रेस को दिलाई अतीत की याद
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को कांग्रेस में बेबाक टिप्पणियों के लिए जाना जाता रहा है। उन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ ताल भी ठोक दी थी। हालांकि चुनाव के दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब उन्होंने कर्नाटक में बड़ी जीत हासिल करने वाली अपनी पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस को इतराना नहीं चाहिए।
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए कांग्रेस नेता ने पिछले लोकसभा चुनाव का उदाहरण भी दिया है। थरूर ने कहा कि 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की थी। कर्नाटक में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी मगर उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में इन राज्यों में कांग्रेस को बुरी तरह हराया था और पार्टी कर्नाटक में भी सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही थी। इसलिए कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में मिली जीत से पार्टी को संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए।
कर्नाटक में कांग्रेस को क्यों मिली जीत
कांग्रेस सांसद ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान कहा कि विधानसभा चुनाव और राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में वोटर का मूड-मिजाज बदलता रहता है। इस बात की पुष्टि अतीत में भी हो चुकी है। इसलिए कर्नाटक की जीत के बाद पार्टी को आत्मसंतुष्ट होकर नहीं बैठना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 135 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी जबकि भाजपा पूरी ताकत लगाने के बाद भी 66 सीटों पर सिमट गई थी।
कांग्रेस नेता ने कर्नाटक में मिली जीत के कारणों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा मजबूत और प्रभावी स्थानीय नेतृत्व और स्थानीय मुद्दों पर जोर देने के कारण ही कर्नाटक में कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ जीत हासिल हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से हैं और इस चुनाव के दौरान राहुल और प्रियंका ने भी पूरी ताकत लगाई थी। वैसे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय नेतृत्व ने इस चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय मुद्दों को दमदार तरीके से जनता के सामने रखा जिसके कारण भाजपा पिछड़ गई।
भाजपा के पास स्थानीय प्रभावी नेतृत्व नहीं
दूसरी ओर भाजपा का चुनाव अभियान पूरी तरह केंद्र की ओर से संचालित था। स्थानीय स्तर पर भाजपा के पास प्रभावी नेतृत्व नहीं दिखा। कर्नाटक के मतदाताओं को इस बात की बखूबी जानकारी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह सरकार चलाने के लिए कर्नाटक नहीं आएंगे।
इसीलिए लोगों ने राज्य में बदलाव लाने का फैसला किया जिससे कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई। उन्होंने कहा कि हिजाब, हलाल और मुसलमानों पर तीखे हमलों से जीत नहीं हासिल की जा सकती क्योंकि इन मुद्दों का उपयोग सीमित स्तर पर ही किया जा सकता है।
थरूर की टिप्पणी क्यों है महत्वपूर्ण
थरूर की टिप्पणी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि थरूर की इस टिप्पणी में काफी दम है क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में अलग-अलग मुद्दे प्रभावी रहते हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजबूत चेहरा है जिसके दम पर पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने में कामयाबी पाई थी।
भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता की कवायद तो जरूर की जा रही है मगर पीएम मोदी के खिलाफ पीएम पद के लिए मजबूत चेहरा सामने लाना विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है।