शिवसेना नेता संजय राउत ने BJP को दी धमकी, कहा- इलेक्शन के बाद वापस ले सकते हैं सपोर्ट '
काफी समय से जो शिवसेना बीजेपी के सपोर्ट में थी, आज वो उनसे अलग होने की धमकी दे रही हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने मुंबई बीएमसी इलेक्शन के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की बात कही है । सोमवार को हुई रैली में उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार फिलहाल नोटिस पीरियड पर है।
मुंबई : काफी समय से जो शिवसेना बीजेपी के सपोर्ट में थी, आज वो उनसे अलग होने की धमकी दे रही हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने मुंबई बीएमसी इलेक्शन के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की बात कही है । सोमवार को हुई रैली में उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार फिलहाल नोटिस पीरियड पर है। इलेक्शन के बाद हम सपोर्ट वापस ले सकते हैं।''
महारष्ट्र के सीएम ने दिया संजय राउत को जवाब
-राउत को जवाब देते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा - ऐसा बयान देने वाले की खुद अपनी पार्टी में कोई औकात नहीं। हम भी उन्हें कोई अहमियत नहीं देते हैं। हमारी सरकार पूरे 5 साल तक रहेगी।
-बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है।
-सोमवार को पार्टी सांसदों ने नोटबंदी, राम मंदिर और तानाशाही रवैये पर मोदी सरकार को घेरा।
क्या बोले सांसद आनंदराव अदसूल
-आनंदराव असलूल ने कहा, ''शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 2002 के दंगों के बाद तब के पीएम वाजपेयीजी को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने से रोका था। अगर बालासाहेब ने ऐसा नहीं करते तो शायद ही आज वह प्रधानमंत्री बन पाते।”
- अदसूल ने आगे कहा, ''बीजेपी हमेशा कहती आई है कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना का छोटा भाई है लेकिन पिछले इलेक्शन में ज्यादा सीटें जीतने के बाद से वह बड़े भाई की तरह बर्ताव कर रही है। अगर छोटे भाई के 4 बच्चे हैं और बड़े के केवल दो तो क्या छोटा भाई बड़ा बन जाता है।”
- ''नोटबंदी पर शुरुआत में हमारी पार्टी ने साथ दिया, लेकिन बाद में पता चला कि केंद्र के पास बंद किए नोटों को बदलने के लिए पूरा प्लान ही नहीं है।''
ये है विवाद?
- मुंबई निकाय चुनाव में सीट बंटवारे पर दोनों पार्टियों में बात नहीं बनी। जबकि बीजेपी-शिवसेना मिलकर बीएमसी में सालों से सत्ता में हैं।
- बीजेपी-शिवसेना के बीच महाराष्ट्र असेंबली इलेक्शन के बाद से ही मतभेद रहे हैं।
-इस बार चुनाव में बीजेपी ने ज़्यादा सीटें मांगी मगर शिवसेना ने मना कर दिया।
- जब रिजल्ट आए तो बीजेपी को ज्यादा सीटें मिली थी और शिवसेना ने आखिरी मौके पर सपोर्ट दिया था।
- तब से कई मुद्दों पर शिवसेना ने नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया।