केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका:यमुना किनारे नहीं लगेगा बसों का जमावड़ा

 यमुना की सफाई की निगरानी के लिए एनजीटी की तरफ से नियुक्त समिति ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से अनुशंसा की है कि मिलेनियम बस डिपो को यमुना किनारे से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाए।  यह भी कहा कि पर्यावरण के लिहाज से यह असुरक्षित है।

Update: 2020-07-05 15:20 GMT

नई दिल्ली: यमुना की सफाई की निगरानी के लिए एनजीटी की तरफ से नियुक्त समिति ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से अनुशंसा की है कि मिलेनियम बस डिपो को यमुना किनारे से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाए। यह भी कहा कि पर्यावरण के लिहाज से यह असुरक्षित है।

 

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समिति ने एनजीटी को बताया

एनजीटी के सेवानिवृत्त विशेषज्ञ सदस्य बी एस सजवान और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा इस यमुना की सफाई की निगरानी शामिल हैं। समिति ने एनजीटी को बताया कि डीटीसी बिना आवश्यक अनुमति हासिल किए इसका संचालन कर रहा है और अपशिष्ट जल को नदी में छोड़ रहा है।

इस समिति ने कहा कि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के समय डीटीसी को बस डिपो बनाने के लिए अस्थायी जगह दी गई थी ताकि वह लो फ्लोर बसों का संचालन और देखभाल कर सके।

गंदगी नदी में बहाया जाता है..

समिति ने कहा कि डिपो में कई बसों की सफाई की जाती है और गंदगी नदी में बहाया जाता है। समिति ने कहा कि डीटीसी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि डिपो में निगम बसों की मरम्मत और देखभाल का काम भी करता है।

एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में समिति ने कहा, ‘दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने यह भी कहा है कि इस्तेमाल किए गए इंजन ऑयल और अन्य ऑयल, ग्रीज जैसे खतरनाक पदार्थ यहां से निकलते हैं और इसे किसी के संज्ञान में नहीं लाया गया है और ऐसा पिछले नौ वर्षों से चल रहा है।

 

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हरित पैनल को जिम्मा

हरित पैनल ने यमुना नदी की सफाई की रोजाना आधार पर निगरानी के लिए एक समिति बनाई थी। यह मामला पिछले साल अप्रैल में उच्चतम न्यायालय ने इस आधार पर हरित पैनल के पास भेज दिया था कि एक ही मुद्दे पर ‘समानांतर कार्यवाही’ नहीं चल सकती है।

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