Sitaram Yechury: वामपंथी आंदोलन की कमजोरियां जानते थे, पर बता नहीं सके

Sitaram Yechury: भारत में वाम आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। येचुरी समाजवादी लक्ष्य और वामपंथी लाइन के एक समर्पित योद्धा थे। उनकी खास बात यह थी कि वह पूर्वाग्रह से मुक्त होकर एक स्पष्ट सोच रखते थे

Update:2024-09-12 17:39 IST

Sitaram Yechury ( Pic- Newstrack)

Sitaram Yechury: सीताराम येचुरी का अवसान भारत में वाम आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। येचुरी समाजवादी लक्ष्य और वामपंथी लाइन के एक समर्पित योद्धा थे। उनकी खास बात यह थी कि वह पूर्वाग्रह से मुक्त होकर एक स्पष्ट सोच रखते थे इसी वजह से उन्होंने एक मौके पर यह माना था कि कम्युनिस्ट आंदोलन की कमज़ोरियों के कारण वामपंथ में विभाजन हुआ।एक राजनेता के रूप में सीपीआई (एम) के महासचिव रहे येचुरी मिलनसार और विनम्र थे, जो सर्दियों के लिए भूरे रंग का वास्कट और गर्म नीला दुपट्टा पहनते थे। और 63 साल की उम्र में उन्होंने पत्रकार सीमा चिश्ती से दूसरी शादी की थी।


2016 में एक अवसर पर मीडिया से बात करते हुए माकपा नेता ने कहा था हमारा पुनरुत्थान 2008 के आर्थिक संकट से पहले हुआ था। हमने इसे दूसरे तरीके से किया। 2004 के चुनाव के बाद, कोई भी केंद्र सरकार सीपीआई (एम) के बिना संभव नहीं होती। यह सच है माकपा के पास लोकसभा में उतनी ही सीटें थीं, जितनी 2016 में कांग्रेस के पास थीं। हालांकि माकपा का वोट बैंक लगातार गिरता रहा। येचुरी ने कहा था कि हम भारतीय लोगों को उन कारणों को बताने में असमर्थ रहे जिनके कारण हमने 2008 में यूपीए 1 के लिए समर्थन वापस ले लिया था। हम उदाहरण के लिए, अमेरिकी परमाणु समझौते पर अपना सीमांकन दिखाने में असमर्थ थे।


यह एक बुरा अनुभव था। नतीजतन पार्टी के पास अब तक का सबसे कम संसदीय प्रतिनिधित्व है, और दो ऐतिहासिक रूप से कम्युनिस्ट राज्यों, केरल और पश्चिम बंगाल में प्रमुख चुनावों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह बात उन्होंने 2016 में कही थी।बंटे हुए वाम आंदोलन के स्थान पर संगठित वाम आंदोलन पर भी सीताराम येचुरी मानते थे कि ऐसा होना चाहिए। ये उनका विचार है। लेकिन इस लक्ष्य को संघर्ष से उभरना चाहिए। इसके साथ ही येचुरी का ये भी मत था कि वामपंथी दलों की एकता अन्य पार्टियों की एकता की तरह नहीं है, जहां नेता एक साथ आकर हाथ मिला सकें और कह सकें कि अब हम एक पार्टी हैं, जैसा कि समाजवादी समूहों के साथ हुआ।


माकपा नेता ने दूसरों की बात पर कहा था कि हम एकजुट होने की बात का समर्थन करते हैं लेकिन हम उस तरह का काम नहीं कर सकते, क्योंकि यह वैचारिक मतभेद ही थे जिन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी को विभाजित किया था। जब स्थिति वास्तव में मांग करती है कि हम कार्रवाई में एकजुट हों हम ऐसा करते हैं। यह एकता या पार्टियों का एक साथ आना समय के साथ होगा, लेकिन यह नीचे से बढ़ते एकजुट संघर्ष के साथ होगा।एक बार किसी ने उनसे पूछा कि क्या आप अब भी साम्राज्यवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो उन्होंने कहा तेंदुआ कभी भी अपना स्थान नहीं बदल सकता। जब ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गये तो उन्होंने लिखा था, और कहा था कि यहां एक अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति व्हाइट हाउस में बदलाव के लिए आ रहा है। एक अफ़्रीकी-अमेरिकी का व्हाइट हाउस में आना एक बड़ा बदलाव था जिसे एक निश्चित अर्थ देने के लिए व्हाइट हाउस नाम दिया गया था। इसी तरह अमेरिका में कभी किसी महिला को राष्ट्रपति नहीं चुना गया लेकिन चुना जाता है तो अपने आप में यह एक बड़ी घटना होगी।

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