देहरादून: इस बार की दिवाली उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों के लिए कुछ ज्यादा रोशन, कुछ ज्यादा मीठी होगी क्योंकि त्रिवेंद्र रावत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन की सौगात देने का फैसला लिया है। राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के तहत बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी।
29 सितंबर को कैबिनेट के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। राज्य के करीब दो लाख कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 50 फीसदी एरियर जारी करने और एक फीसदी डीए बढ़ाने को मंजूरी दे दी गई है। कर्मचारियों का जनवरी 2016 से दिसंबर 2016 के बीच का एरियर बकाया है। पुरानी पेंशन योजना में शामिल कर्मचारियों का एरियर और डीए का पैसा जीपीएफ खाते में जाएगा।
भत्तों के निर्धारण के लिए बनी कमेटी
सातवें वेतन आयोग के तहत भत्तों के निर्धारण के लिए कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है, जो इसकी तिथि का निर्धारण करेगी। दो लाख राज्यकर्मियों को सातवें वेतनमान के बकाया एरियर की पचास फीसदी राशि का भुगतान हो जाएगा। इससे सरकारी खजाने पर 600 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। हालांकि यह फायदा उन्हीं विभागों और निगमों के कर्मचारियों को मिलेगा जहां सातवां वेतनमान लागू हो गया है।
कर्मचारी परिषद ने किया फैसले का स्वागत
सातवें वेतनमान का 50 प्रतिशत एरियर और केंद्र की तर्ज पर 5 जुलाई 2017 से एक प्रतिशत महंगाई भत्ते का भुगतान करने के फैसले से कर्मचारी संगठन प्रसन्न हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार जताया है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का कहना है कि उनकी मांग पर ही सरकार ने समिति बनाई है। विभिन्न संवर्गों के वेतन विसंगतियों की सुनवाई के लिए गठित वेतन समिति की संस्तुतियों को वापस भेजनेे और वेतन समिति की संस्तुतियों का परीक्षण करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव, वित्त, कार्मिक की समिति का गठन करने का निर्णय भी किया गया है।
यह समिति शीघ्र ही मंत्रिमंडल के समक्ष अपनी संस्तुतियां प्रस्तुत करेगी। परिषद के प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि काॢमकों की मांग पर मंत्रिमंडल ने वेतन समिति की रिपोर्ट वापस करने का निर्णय लिया है। कई मांगों पर फैसला नहीं हुआ है। इसमें 17 फरवरी 2017 को जारी एसीसी के शासनादेश में संशोधन, यू-हेल्थ कार्ड, वाहन भत्ता आदि मांगें शामिल हैं। परिषद की मांग है कि वेतन समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। परिषद और संबंधित संवर्गों के कर्मचारी संगठनों से भी तत्काल वार्ता कर विसंगतियों का निराकरण किया जाए। सातवें वेतनमान का लाभ परिवहन निगम, सिडकुल और उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के 4500 से ज्यादा कर्मचारियों को भी मिलेगा।
पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ा
कैबिनेट में पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाए जाने का फैसला भी किया गया है। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। अब ग्राम पंचायत प्रधान का मानदेय 750 रुपए से बढ़कर 1500 रुपये हो जाएगा। उप प्रधान का मानदेय 350 रुपये से बढ़कर 500 रुपए, जिला पंचायत अध्यक्ष का मानदेय 5000 से बढ़ाकर 10 हजार रुपए, उपाध्यक्ष का मानदेय 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपए, पंचायत सदस्य का मानदेय 400 से बढ़ाकर 1000 रुपए प्रति बैठक, बीडीसी प्रमुख का मानदेय 4000 रुपए से बढ़ाकर 6000 रुपए, उप प्रमुख का मानदेय 645 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया है। पंचायत प्रधानों ने मानदेय में की गई बढ़ोतरी को ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने बढ़ोतरी की बात कह कर उनकी मुख्य मांगों पर कोई पैसला नहीं लिया है।
प्रधान 'सम्मानजनक' मानदेय मांग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानों की मांग में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग और 14वें वित्त आयोग के तहत पंचायतों को बजट देने और पंचायती राज एक्ट लागू करना भी है। मांग पूरी न होने पर उन्होंने आंदोलन की भी चेतावनी दी है। सरकार ने मनदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को तो मंजूरी दे दी है, लेकिन पंचायत के बजट में कटौती और पंचायती राज एक्ट लागू करने की मांग पर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसलिए प्रधानों ने मानदेय बढ़ोतरी को ठुकरा कर विरोध जताने का फैसला किया है।
गंदगी फैलाने वालों पर पंचायत लगाएगी जुर्माना
कैबिनेट ने गांवों में ठोस कूड़े को सही ढंग से निपटाने के लिए ठोस कूड़ा प्रबंधन नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। नीति लागू होने के बाद अब शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर ग्राम पंचायतों में भी ठोस कूड़े को सही तरह से निपटाया जाएगा। घरों, निजी संस्थानों, दुकानों और होटलों से निकलने वाले कूड़े के प्रबंधन की जिम्मेदारी अब ग्राम पंचायतों की होगी। चारधाम यात्रा और ट्रेङ्क्षकग मार्गों पर कूड़ा प्रबंधन का जिम्मा जिला पंचायतों का होगा। ठोस कूड़ा प्रबंधन में लापरवाही बरतने पर पंचायत प्रधान, उप प्रधान और वार्ड सदस्यों पर भी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
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जिला प्राधिकरण पर पहाड़-मैदान अलग
सरकार ने पहले 13 जिलों में जिला विकास प्राधिकरण बनाने का विचार किया था। लेकिन अब इसे मैदान तक सीमित कर दिया है। देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर विकास प्राधिकरण बनाने को मंजूरी दे दी गई है। पहाड़ में व्यवसायिक भवनों के निर्माण के लिए स्थानों को चिन्हित करने के लिए कमेटी बनाई गई है जिसमें वन मंत्री हरक सिंह रावत, आवास मंत्री मदन कौशिक और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को शामिल किया गया है।
बच्चा गोद लेने पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश
उत्तराखंड कैबिनेट ने महिलाओं के लिए एक और स्वागत योग्य फैसला लिया है। वे महिलाएं जो बच्चा गोद लेंगी उन्हें भी अपने शिशु की देखभाल के लिए मातृत्व अवकाश मिलेगा। अब तक गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय ही कुछ समय का अवकाश मिलता था। लेकिन अब राज्य सरकार ने बच्चों को गोद लेने पर भी मातृत्व अवकाश देने का ऐलान किया है। बच्चों को गोद लेने के बारे में सोच रहे परिवारों को यह बड़ी राहत होगी।
निकायों का सीमा विस्तार तय
नगर निकायों के सीमा विस्तार को लेकर राज्य भर में विरोध हो रहा है। लेकिन कैबिनेट बैठक में ये साफ हो गया कि सरकार नगर निकायों के सीमा विस्तार को रोकने वाली नहीं है। नंदप्रयाग और ऋषिकेश के सीमा विस्तार प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी गई है। इस तरह अब कुल 38 निकायों का सीमा विस्तार होगा, इनमें से 36 निकायों के लिए अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
13 जिले 13 डेस्टिनेशन
अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सरकार ने पर्यटन विभाग को अपना लैंड बैंक तैयार करने की अनुमति दे दी है। इस संबंध में नियमावली बनाने की मंजूरी देकर पर्यटन को बेहतर बनाने के रास्ते खोल दिए हैं।
कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड विशेष क्षेत्र प्राधिकरण पर्यटन भूमि एकत्रीकरण एवं क्रियान्वयन नियमावली 2017 के साथ ही पर्यटन विकास परिषद और भूमि एकत्रीकरण एवं क्रियान्वयन नियमावली 2017 को भी अनुमति दे दी गई है। टिहरी और केदारनाथ में पर्यटन विभाग की कई योजनाएं प्रस्तावित हैं, जिन्हें पूरा करना अब आसान हो जाएगा।