Dhar Bhojshala Survey: धार 'भोजशाला' के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार, एएसआई के सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे

Dhar Bhojshala Survey: सुप्रीम कोर्ट ने धार भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। भोजशाला पर हिंदू और मुसलमान पक्ष दोनों अपना दावा करते हैं। आज ही एएसआई ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 2 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी जिसमें कई खुलासे किए गए हैं।

Update:2024-07-15 18:29 IST

Dhar Bhojshala ASI Survey ( Social- Media- Photo)

Dhar Bhojshala Survey: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में मध्यकालीन युग की संरचना 'भोजशाला' के 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण' के खिलाफ दायर याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है। इस भोजशाला पर हिंदू और मुसलमान दोनों पक्ष अपना दावा करते हैं।

मुस्लिम पक्ष ने दायर की है याचिका

सुप्रीम कोर्ट में मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मंदिर का ’वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का आदेश दिया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह किस समुदाय का है।


एएसआई सर्वे में हुए कई अहम खुलासे

अपने 11 मार्च के आदेश में हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सोमवार यानी 15 जुलाई 2024 को एएसआई ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 2 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कई खुलासे किए गए। ये बात सामने आई है कि खुदाई में कई मुर्तियां मिली हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को सहमति व्यक्त की

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की कि एएसआई ने पहले ही अपनी रिपोर्ट दायर कर दी है।


उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि हिंदू पक्ष ने लंबित याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। 7 अप्रैल 2003 को एएसआई द्वारा तैयार की गई व्यवस्था के तहत हिंदू पक्ष मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं।

एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से किया था इनकार

1 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहते हैं।

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