आरक्षण पर SC का बड़ा फैसला: रिजर्वेशन वालों को लगेगा करारा झटका

सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरक्षण मौलिक अधिकारी नहीं है।

Update: 2020-02-08 08:48 GMT

नई दिल्ली: नौकरी में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये स्पष्ट किया कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण (Reservation In Jobs) मिलना कोई मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी अदालत राज्य सरकार को एससी-एसटी समुदाय को आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती है। एससी ने ये फैसला किया कि राज्य सरकारें अपने विवेक से तय करें कि पदोन्नति में आरक्षण देना है या नहीं।

आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं:

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के पदों पर पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान कहा कि आरक्षण से जुड़ा फैसला राज्य सरकारों के स्वविवेक से जुड़ा है। इसके सम्बन्ध में कोर्ट किसी भी राज्य सरकार को कोई निर्देश नहीं दे सकता।

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अदालत ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण देने को लेकर राज्यों पर कोई दायित्व नहीं है। हालाँकि कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि जब राज्य सरकार आरक्षण देना चाहे तो सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की कमी के बारे में डाटा एकत्र करने के लिए वह बाध्य है। पीठ ने कहा 'प्रमोशन के मामलों में राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।'

राज्य सरकार आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं

मामले की सुनवाई जस्टिस एल नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने की। इस दौरान कहा गया, 'राज्य सरकार आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने के लिए किसी व्यक्ति का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत द्वारा आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।'

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SC/ST आरक्षण अनुच्छेद 16 के प्रावधान में

बता दें कि SC/ST के पक्ष में आरक्षण प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 16 में प्रावधान हैं। कोर्ट ने कहा कि इस रावधान के आधार पर राज्य सरकार अपने विवेक से फैसला कर सकती है, लेकिन राज्य सरकार को सरकारी पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण देने के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है।

आरक्षण पर कोर्ट का फैसला:

सुप्रीम कोर्ट सरकारी जॉब में पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण दिए जाने से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। बता दें कि इस मामले में उत्तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया,जबकि हाईकोर्ट ने राज्य को SC / ST के प्रतिनिधित्व के संबंध में पहले डाटा इकट्ठा करने और फिर कोई फैसला करने का निर्देश दिया था।

उत्तराखंड सरकार के आरक्षण अधिकार में हस्तक्षेप करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी पदों पर पदोन्नति द्वारा भरे जाने भविष्य के सभी रिक्त पद केवल एससी और एसटी के सदस्यों के होने चाहिए। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दोनों फैसलों को अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया है और सरकार के पक्ष में बड़ा फैसला दिया।

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