तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, जमानत मंजूर, अदालत ने कहा- 'गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी'

Teesta Setalvad News : गुजरात हाईकोर्ट ने इसी महीने 1 जुलाई को समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज करते हुए तत्काल समर्पण का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ तीस्ता ने सुप्रीम कोर्ट मे जमानत याचिका दाखिल की थी।

Update:2023-07-19 16:43 IST
तीस्ता सीतलवाड़ (Social Media)

Teesta Setalvad News : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीस्ता सीतलवाड़ को बड़ी राहत दी। शीर्ष अदालत ने बुधवार (19 जुलाई) को सीतलवाड़ को नियमित जमानत दे दी। इससे पहले, गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने 01 जुलाई 2023 को तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें 'तत्काल समर्पण' का निर्देश दिया था। इसी के खिलाफ तीस्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश के साथ ही कहा कि, 'तीस्ता सीतलवाड़ इस मामले में गवाहों को प्रभावित करने की कोई कोशिश नहीं करेंगी और उनसे दूर रहेंगी।' अदालत ने इस टिप्पणी के साथ उन्हें नियमित जमानत दे दी।
जानें सीतलवाड़ पर क्या हैं आरोप?

आपको बता दें, ये मामला गुजरात के गोधरा दंगे से जुड़ा है। गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए गोधरा कांड के बाद दंगे मामलों में उन्हें बेकसूर लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने के एक मामले में तुरंत आत्मसमर्पण (Teesta Setalvad Surrender) करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सीतलवाड़ ने तुरंत शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

'सामान्य अपराधी भी अंतरिम राहत का हकदार होता है'

सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर 1 जुलाई को देर रात विशेष सुनवाई में उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर शीर्ष अदालत ने एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी। सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय बेंच ने देर रात हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए सीतलवाड़ को समय नहीं देने का मसला भी उठाया था। कोर्ट ने कहा था, 'एक सामान्य अपराधी भी कुछ अंतरिम राहत का हकदार होता है।'

'....कुछ तो राहत देनी चाहिए थी'

तीस्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था, 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमने पाया कि एकल न्यायाधीश को कुछ राहत देनी चाहिए थी। ताकि, याचिकाकर्ता को सिंगल बेंच द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके मद्देनजर मामले के गुण-दोष पर गौर किए बिना हम आज से एक हफ्ते के लिए इस आदेश पर रोक लगाते हैं।'

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