Gay Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी केंद्र से मांगा जवाब

Gay Marriage: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक समलैंगिक जोड़े की इस मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-11-25 09:00 GMT

Supreme Court (Social Media)

Gay Marriage: भारत में समलैंगिकता (Gay Marriage) को साल 2018 में ही अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, मगर समलैंगिक जोड़ों के विवाह (Same Sex Marriage) को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिल पाई है। काफी समय से इसकी मांग उठती रही है। इस बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एक समलैंगिक जोड़े की इस मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और जस्टिस हेमा कोहली (Justice Hema Kohli) की बेंच ने अटार्नी जनरल को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सभी को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

हैदराबाद के गे कपल ने दायर की थी याचिका

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के रहने वाले सुप्रियो चकवर्ती और अभय डांग ने अपनी याचिका में समलैंगिक शादी को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि कानून लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता। याचिका में कहा गया है कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार एलजीबीटीक्यू+ नागरिकों को भी मिलना चाहिए।

2021 में दोनों ने की थी शादी

सुप्रियो चकवर्ती और अभय डांग करीब 10 साल स रिलेशनशिप में हैं। उन्होंने कुछ समय पहले ही अपने रिश्ते का जश्न मनाने के लिए अपनी 9वीं सालगिरह पर कमिटमेंट सेलिब्रेशन आयोजित करने का निर्णय़ लिया था। पिछले साल यानी 2021 में दोनों ने माता – पिता और दोस्तों की मौजूदगी में शादी की थी। उनका कहना है कि शादी के बावजूद उन्हें एक विवाहित जोड़े को मिलने वाले अधिकार नहीं मिल रहे हैं।

बता दें कि दुनिया के कई देशों में वहां की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है। जिन देशों में सरकार ने इस तरह के विवाद की अनुमति नहीं दी वहां लोग कोर्ट से परमिशन लेकर आ गए। कुछ देशों में यह मामला कोर्ट में लटका हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाले देशों की कुल संख्या 20 है। मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों जैसे ईरान, सऊदी अरब, यूएई और कतर में समलैंगिकता के लिए सजा ए मौत दी जाती है। 

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