Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी केस में सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए हाथ, इस मामले में दखल देने से किया इनकार

Bhopal Gas Trasadi: भोपाल गैस त्रासदी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। मामले की निगरानी पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से मना किया है।;

Update:2025-02-27 12:40 IST

भाेपाल गैस त्रासदी केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह यूनियन कार्बाइड प्लांट में कचरे के निपटान से संबंधित मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्योंकि इस मामले की निगरानी पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय कर रहा है। उपरोक्त अवलोकन करने के बाद, जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की दलील ने याचिका का निपटारा कर दिया। यानी अब पीथमपुर में ही यूका का कचरा जलाया जाएगा।

हाईकोर्ट का क्या है आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे के निपटान के लिए ट्रायल रन को मंजूरी दी है। इसमें 30 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाएगा। कचरा जलाने का काम तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में 135 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा। जबकि दूसरे में 180 किलो वहीं तीसरे और आखिरी में 270 किलो प्रति घंटा कचरा जलाया जाएगा। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी।

क्या है मामला

दरअसल, हाईकोर्ट के फैसले के बाद विशेषज्ञों की निगरानी में यूका का कचरा पीथमपुर में जलाने का फैसला लिया गया था। इसे लेकर विरोध किया गया। इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी।। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। मामले में जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दिया।

इस पूरे मामले को अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ही देखेगी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पीथमपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में आज से कचरा को जलाए जाना था। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद कंपनी अब इस दिशा में आगे बढ़ेगी।

यूका कचरा पर स्थानीय लोगों को क्या कहना है

यूका कचरा को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे उन पर  और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। इसे ही लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। वहीं कंपनी और सरकार का कहना था कि इससे किसी को और कोई नुकसान होने वाला नहीं है। कंपनी और सरकार ने कहा कि सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। एक्सपर्ट की अनुमति के बाद ही यह फैसला लिया गया है। कंपनी ने कहा कि हमारे सारे कर्मचारी वहीं रह रहे हैं। उन्हें कोई नुकसान नहीं है।

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