सुप्रीम कौर्ट ने खारिज की ये जनहित याचिका, कोर्ट ने कहा- लाखों लोगों के लाखों विचार

मजदूरों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हर्ष मंदर, प्रशांत भूषण ने दायर की थी याचिका

Update: 2020-04-03 12:53 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया गया है। जिसकी वजह से जो जहां था वो वहीं पर फंस गया। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रहीं हैं उन मजदूरों को जो कहीं रह कर काम कर रहे थे। ऐसी परिस्थिति में वो मजदूर अब अपने अपने घरों और शहरों में पलायन कर रहे हैं। ऐसे में इन मजदूरों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

कोर्ट ने खारिज की याचिका

दरअसल पलायन कर रहे मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हर्ष मंदर, प्रशांत भूषण समेत कई वकीलों ने एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि शेल्टर होम्स में पर्याप्त स्वच्छता और सुविधा नहीं मिल पा रही है। अतः उन लोगों के लिए होटल और रिसॉर्ट्स की व्यवस्था करने की मांग की गई थी।

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इस याचिका को कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कर दिया कि लाखों लोगों के पास लाखों विचार हैं। हम सभी के विचार नहीं सुन सकते और इसके लिए सरकार को बाध्य नहीं कर सकते।

सॉलिसिटर जनरल ने जताई आपत्ति

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पीआईएल की दुकानों को बंद करना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि जिसको असल में मदद करनी होती है, वह जमीन पर काम करता है। एसी कमरों में बैठना और जनहित याचिका दाखिल करने से कोई फायदा नहीं होता। अगर अदालत प्रवासियों और मजदूरों पर विस्तृत रिपोर्ट चाहती है तो हम दायर करेंगे।

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सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासियों के मसले पर बेहतर तरीके से काम कर रही हैं। राज्य सरकारें पहले से ही आवश्यकतानुसार भवन, स्कूल, होटल आदि में व्यवस्था कर रही हैं। ऐसे में अदालतों को पलायन को लेकर को नया आदेश या निर्देश देने की कोई जरूरत नहीं है।

एक याचिका पर कोर्ट दे चुका है कमेटी बनाने का आदेश

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों के पलायन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। धर्म गुरुओं और राजनीतिक लोगों की यह कमेटी हर शेल्टर होम में जाएगी और मजदूरों से बात करेगी। इसके साथ ही मजदूरों को समझाने के लिए काउंसर नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।

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