बड़ी खबर: 2020-2021 से नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है। कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

Update: 2020-09-09 09:34 GMT
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनाया है। इस केस पर विचार के लिए इसे एक बड़ी बेंच के पास भेजा गया है।

नई दिल्ली: इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है। कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

ये निर्णय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनाया है। इस केस पर विचार के लिए इसे एक बड़ी बेंच के पास भेजा गया है। ये बेंच मराठा आरक्षण के वैधता पर विचार करेगी।

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याद दिला दें कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 को नौकरियों और एडमिशनों में लागू किया गया था।

जिस पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल जून में कानून कहा कि 16 प्रतिशत आरक्षण सही नहीं है। रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत से और एडमिशन में 13 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जिसके बाद इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था।

कालेज में एडमिशन के लिए जमा छात्रों की भीड़ की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में चारधाम प्रोजेक्ट पर अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मंगलवार को आदेश दिया है कि निर्माण कार्यों से हुए नुकसान की भरपाई के लिए पौधारोपण की प्रक्रिया अपनाएं जाए।

कोर्ट ने 12 मीटर सड़क की चौड़ाई को नियमविरुद्ध करार देते हुए उत्तराखंड में चारधाम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के दौरान सड़कों को चौड़ा किए जाने के क्रम में सड़क परिवहन व हाइवेज मंत्रालय के 2018 सर्कुलर को मानने का आदेश जारी किया हैं।

हाइवे की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

क्या ये है परियोजना-

बता दें कि चारधाम राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तराखंड में एक हाईवे प्रोजेक्ट है। जिसके तहत राज्य में स्थित चार धाम तीर्थस्थलों को एक्सप्रेस राष्ट्रीय राजमार्गों से कनेक्ट किया जाना है। इस परियोजना के अंतर्गत कम से कम 10-15 मीटर चौड़े दो-लेन (प्रत्येक दिशा में) राष्ट्रीय राजमार्ग को तैयार किया जाएगा।

उत्तराखंड में हैं 21 नेशनल हाईवे

गौरतलब है कि इस निर्माण कार्य के अंतर्गत डीपीआर तैयार कराई जा रही है। इसे केंद्र के पास भेजा जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद 3-4 साल के भीतर सड़क का चौड़ीकरण कर लिया जाएगा। इनमें से अधिकांश सड़कों को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री भुवनचंद्र खंडूरी के कार्यकाल में नेशनल हाईवे का दर्जा दिया गया था लेकिन उसके बाद इनका चौड़ीकरण नहीं हो सका।

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