कृषि कानून: 4 सदस्यीय कमेटी में कौन-कौन शामिल हैं और अब तक क्या स्टैंड रहा है?

कमेटी में शामिल भूपिंदर सिंह मान उन किसान नेताओं में से हैं जो मोदी सरकार के इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं जिनके विरोध में किसान केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं।

Update:2021-01-12 16:23 IST
किसान नेता राजेवाल ने कहा कि सोमवार को हमने प्रेस नोट में बताया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी बनाएगा तो हमें मंजूर नहीं है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसे केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने समस्या के समाधान के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया है।

सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत का हल ना निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया। अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे।

कृषि कानून: 4 सदस्यीय कमेटी में-कौन-कौन शामिल हैं और अब तक क्या स्टैंड रहा है?(फोटो:सोशल मीडिया)

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यहां जानें कमेटी में कौन-कौन हैं शामिल

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, सेठारी संस्थान के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी शामिल हैं। ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी।

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भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल धनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) होंगे।

भूपिंदर सिंह मान उन किसान नेताओं में से हैं जो मोदी सरकार के इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं जिनके विरोध में किसान केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। पिछले महीने, यानि 14 दिसंबर को उन्हो ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक खत भी लिखा था।

कृषि कानून: 4 सदस्यीय कमेटी में-कौन-कौन शामिल हैं और अब तक क्या स्टैंड रहा है?(फोटो:सोशल मीडिया)

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क्या किसान संगठन केंद्र सरकार की बनाई इस कमेटी के सामने पेश होंगे?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़ा सवाल है कि क्या किसान संगठन केंद्र सरकार की बनाई इस कमेटी के सामने पेश होंगे? क्योंकि किसान संगठनों की ओर से कल ही यह साफ कर दिया गया था कि कृषि कानूनों पर रोक का स्वागत है लेकिन हम किसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गणतंत्र दिवस बाधित करने की आशंका वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है।

फैसला पढ़ते वक्त कोर्ट ने आज क्या कहा?

कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर रोक लगा सकते हैं पर इससे बात नहीं बनेगी। हमारे पास कमेटी बनाने का अधिकार है। हम समस्या का हल चाहते हैं। इसलिए कमेटी बनाने की बात कर रहे हैं।

कोर्ट ने पूछा कि जब आप कहते है कि किसान कमेटी के पास नहीं जायेंगे। सवाल ये है कि क्या सारे किसान ऐसा चाहते है। अलग अलग यूनियन है। उनकी अलग अलग राय है।

कृषि कानून: 4 सदस्यीय कमेटी में-कौन-कौन शामिल हैं और अब तक क्या स्टैंड रहा है?(फोटो:सोशल मीडिया)

50 दिनों से जारी है किसानों की लड़ाई

दिल्ली की सीमा पर किसानों का हुजूम पिछले 50 दिनों से लगा हुआ है। अलग-अलग बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, डटे हुए हैं। अबतक कई किसानों की मौत भी हो चुकी है, जिनमें से कुछ ठंड से जान गंवा बैठे हैं तो कुछ ने आत्महत्या कर ली।

कृषि कानून की मुश्किलों को दूर करने के लिए सरकार और किसान संगठन कई राउंड की बैठक भी कर चुके थे, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। किसान तीनों कानूनों की वापसी की मांग पर ही अड़े थे, लेकिन सरकार कुछ विषयों पर संशोधन के लिए राजी थी।

सोमवार की सुनवाई में क्या-क्या हुआ था

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह बहुत निराश है। इस विवाद का समाधान खोजने के लिए वह एक समिति गठित करेगा।

इस बारे में आदेश मंगलवार को दिया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया कि यदि सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है।

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