योग गुरु स्वामी ओमानंद सरस्वती की पुण्यतिथि, कैसे बनें ब्रह्मचारी, पढ़ें पूरी खबर
योग गुरु स्वामी ओमानंद सरस्वती का जन्म मार्च 1910 को दिल्ली के नरेला में एक जाट खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी कनक सिंह था।
लखनऊ: हरियाणा के जाने माने इतिहासकार, स्वतंत्रता-संग्राम-सेनानी, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी ओमानंद स्वामी का आज पुण्यतिथि हैं। बता दें कि स्वामी ओमानंद सरस्वती को योग गुरु भी कहा जाता है। वे इंदौर के ओमानंद योगाश्रम में अंतिम सांस ली थी। जानकारी के मुताबिक, आश्रम में ही उनका दाह संस्कार वैदिक विधि द्वारा किया गया था।
कौन थे स्वामी ओमानंद सरस्वती
बता दें कि योग गुरु स्वामी ओमानंद सरस्वती का जन्म मार्च 1910 को दिल्ली के नरेला में एक जाट खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी कनक सिंह था। स्वामी ओमानन्द सरस्वती अपने माता-पिता के एकलौते संतान थे। उन्हें लोग प्यार से भानु कहते थ।
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कैसे बने ब्रह्मचारी
जानकारी के मुताबिक, स्वामी ओमानंद सरस्वती आर्य समाज की चौधरी कनकसिंह जी से प्रभावित हुए थे। उनका विवाह 7 वर्ष में ही तय कर दिया गया था। स्वामी जी ने इस विवाह को अस्वीकार करते हुए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया। इसी प्रण के बाद वे स्वामी ओमानंद सरस्वती कहे जाने लगे।
हरियाणा को पाखंड से दिलाई मुक्ति
स्वामी ओमानंद सरस्वती को गुलाम भारत को स्वराज्य देने वाले फरिश्ता भी कहा जाता है। उन्होंने हरियाणा को पाखंड से मुक्ति दिलाया था। वे "हरियाणा प्रदेश के निर्माता आचार्य भगवान देव" के नाम से भी प्रचलित है।
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स्वामी ओमानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार
बताया जाता है कि योग गुरु स्वामी ओमानन्द सरस्वती के अंतिम संस्कार में मंजू ग्रोवर, कैशाल सैनी जैसे कई दिग्गज शामिल हुए थे। योग गुरु की मृत्य होने के बाद जन कल्याण ट्रस्ट के चेयरमैन कैलाश सैनी ने कहा था, “स्वामी ओमानंद सरस्वती के जाने से योग के एक युग का अंत हो गया है। उनके निधन पर हिसार के योग प्रेमियों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। वर्ष 1975 में उनका पहली बार हिसार आना हुआ, तभी से वे समय-समय पर हिसार आकर योग कक्षाओं द्वारा अपनी सेवाएं देते रहे हैं।”
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