ताजमहल नहीं है 'तेजो महालय', केंद्र सरकार ने दिया कोर्ट में जवाब

Update: 2018-02-20 05:12 GMT
ताजमहल नहीं है 'तेजो महालय', भारत सरकार ने दिया कोर्ट में जवाब

आगरा: ताजमहल और 'तेजो महालय' मामले में सोमवार को भारत सरकार और पुरातत्व विभाग ने अपना जवाब कोर्ट में दाखिल किया। जवाब में फिर एक बार कहा गया है कि ताजमहल शिवालय नहीं है। ताजमहल के तेजो महालय होने का कोई भी साक्ष्य नहीं है। अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन अभिषेक सिन्हा ने सुनवाई के लिए 26 फरवरी तय की है।

दरअसल, लखनऊ के अधिवक्ता हरिशंकर जैन सहित अन्य वकीलों ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठा के माध्यम से 8 अप्रैल 2015 को अदालत में परिवाद दाखिल किया था। इसमें भारत सरकार गृह मंत्रालय पुरातत्व विभाग एवं केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया था। उन्होंने प्रतिवाद के द्वारा दावा किया था ताजमहल पूर्व में तेजो महालय मंदिर के नाम से था। यहां भगवान शिव का भव्य मंदिर था जिसका नाम तेजो महालय था।

भारत सरकार के वकील ने दाखिल किया जवाब

भारत सरकार और पुरात्तव विभाग ने इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। तीन बार से जवाब देने के लिए समय मांग रहे भारत सरकार के वकील विवेक शर्मा और अंजना शर्मा ने सोमवार को जवाब दाखिल किया। इसमें कहा गया कि ताज में कई प्रतिबंधित हिस्सो में फोटोग्राफी की इजाजत नहीं है। यहां फोटोग्राफी कानूनन अवैध है।

शिवालय से संबंधित कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं

वादी पक्ष द्वारा फूल-पत्ती कलश आदि की उपस्थिति का जो अर्थ लगाया गया है, वह काल्पनिक है। इसका कोई साक्ष्य दस्तावेज दाखिल नहीं किया गया है।शिवालय से संबंधित कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं दिया गया है। मामले से जुड़े दस्तावेज सरकार पहले ही दाखिल कर चुकी है। जवाब में यह भी कहा गया है कि' प्रतिवादी पक्ष द्वारा बताया गया है कि बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था। इस संबंध में कई शासनादेश और नजीर है। ताजमहल संरक्षित स्मारक है जो कि भारत सरकार की संपत्ति है। 6 जनवरी 2014 का आदेश है कि ताजमहल की गुंबद और भूतल संरक्षित क्षेत्र में किसी को जाने की अनुमति नहीं है।' इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 26 फरवरी को तय किया है।

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