वार्ता रहेगी बेनतीजा, तय है ट्रैक्टर रैली- एक तरफ जवान, दूसरी तरफ किसान
सरकार के अब तक के बर्ताव से साफ है कि वह आंदोलनकारी किसानों को किसान मानने को तैयार नहीं है। जबकि आंदोलनकारी किसान सरकार हर रोज बदलती रणनीतियों से ये बात समझ चुके हैं कि सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी इसलिए बातचीत के नाम पर लकीर पीटने की प्रक्रिया की खानापूर्ति हो रही है।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: कड़ाके की ठंड में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों का धैर्य लगभग दो महीने के इस आंदोलन में अभी तक नहीं टूटा है। दिल्ली के शाहीन चौक से ये आंदोलन कुछ अलग है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियां इस आंदोलन की तासीर समझने में नाकाम रही हैं और रही सही कसर मोदी सरकार के मंत्रियों की रोज बदलती रणनीतियों ने पूरी कर दी है।
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हालांकि आज फिर किसानों और सरकार के बीच बातचीत हो रही है लेकिन दोनो ही पक्ष ३६ की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं दोनो एक दूसरे की ओर पीठ करके बात करने की बात कर रहे हैं।
वह आंदोलनकारी किसानों को किसान मानने को तैयार नहीं है
सरकार के अब तक के बर्ताव से साफ है कि वह आंदोलनकारी किसानों को किसान मानने को तैयार नहीं है। जबकि आंदोलनकारी किसान सरकार हर रोज बदलती रणनीतियों से ये बात समझ चुके हैं कि सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी इसलिए बातचीत के नाम पर लकीर पीटने की प्रक्रिया की खानापूर्ति हो रही है।
इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत का यह बयान महत्वपूर्ण है कि सरकार के साथ हमारी बैठकें तब तक जारी रहेंगी जब तक हमारा प्रदर्शन समाप्त नहीं हो जाता क्योंकि ऐसा होना जरूरी है। टिकैत के इस बयान में सरकार से कोई उम्मीद न होना बहुत बड़ी बात है। यानी नतीजा पहले से तय है इस आज की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।
वे लाल किले से इंडिया गेट तक मार्च करेंगे
तब क्या होगा। देखते हैं किसानों की अगली रणनीति। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड पर अड़े हुए हैं। पहले राजपथ पर ट्रैक्टर ले जाने की चेतावनी देते रहे किसानों ने अब कहा है कि वे लाल किले से इंडिया गेट तक मार्च करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण होगा जब एक तरफ किसान होंगे और दूसरी तरफ जवान।
राकेश टिकैत ने कहा है, ''ये पता चला है कि वे (सरकार) राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक यात्रा (परेड) निकालेंगे। उन्होंने अपनी यात्रा छोटी कर दी है। हम लाल किले से निकालेंगे इंडिया गेट तक, दोनों का मेल मिलाप वहीं होगा। किसान देश का सिर ऊंचा करेंगे। यह दुनिया की सबसे ऐतिहासिक परेड होगी। यहां एक तरफ से किसान चलेगा, एक तरफ से जवान चलेगा।''
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संघ सरकार के साथ वार्ता में शामिल होंगे और गतिरोध को सुलझाने और आंदोलन को समाप्त करने के लिए वार्ता को जारी रखना जरूरी है।
प्रदर्शनकारी संघ शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में भाग लेंगे
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर कई सप्ताह से जारी किसानों के प्रदर्शन को समाप्त करने में अब तक हुई कई दौर की वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जो कि फर्जी संगठनों के समर्थन के ट्वीट कर बदनाम हो चुके हैं कह रहे हैं कि सरकार को शुक्रवार की निर्धारित वार्ता में सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद है। टिकैत ने भी कहा कि प्रदर्शनकारी संघ शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में भाग लेंगे।
किसानों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की पहल का स्वागत तो करते हैं मगर जो कमेटी किसानों की मांगों को लेकर बनाई गई है 'वो सरकार के ही पक्ष' में काम करेगी। क्योंकि इनमें से कुछ एक ने कृषि बिल को लेकर सरकार का खुलेआम समर्थन किया है।
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राकेश टिकैत यह भी कह चुके हैं कि किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे और अपने आंदोलन के स्थल को भी नहीं बदलेंगे। उनका कहना था, "हम सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं कि माननीय मुख्य न्यायाधीश और बेंच के दूसरे न्यायाधीशों ने कम से कम आंदोलन कर रहे किसानों की मुश्किलों को तो समझा. सर्वोच्च अदालत ने आंदोलन करने के अधिकार का भी बचाव किया है. ये बहुत बड़ी बात है." ये तो तय है कि जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं।"
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