SC ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला: बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के अंदर आज घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बत्रा केस की सुनवाई हुई। तीन सदस्यीय पीठ ने इस केस से जुड़े दोनों पक्षों की बातें ध्यान पूर्वक सुनने के बाद अपना अहम फैसला पढ़कर सुनाया।
नई दिल्ली: इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। फैसला बहु के पक्ष में दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज तरुण बत्रा मामले में जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलटते हुए कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है।
बता दें कि इससे पहले तरुण बत्रा केस में दो जजों की बेंच ने कहा था कि कानून में बेटियां, अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती हैं।
अब तीन सदस्यीय पीठ ने इस केस की सुनवाई करते हुए तरुण बत्रा के फैसले को पलटते हुए 6-7 सवालों के जवाब दिया है और ये साफ़ कर दिया है कि पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि साझा घर में भी बेटी का अधिकार है।
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जाति प्रमाणपत्र विवाद पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अमित अजित जोगी
उधर जनता कांग्रेस, छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित अजीत जोगी ने जाति प्रमाणपत्र विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर याचिका दायर की है।
उन्होंने कहा कि न्याय के लिए न्याय के मंदिर जाना होगा। उनका आरोप है कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है।
रिचा जोगी का जाति विवाद का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। अब इस बीच अमित जोगी ने कहा कि मेरा और मेरी पत्नी का जाति प्रमाणपत्र अभी तक निरस्त नहीं किया गया है, यह भी सरकार की साजिश है।
उन्होंने कहा कि सरकार नामांकन के आखरी समय का इंतजार कर रही है, ताकि उस समय हमारे सामने कोई रास्ता न बचे।
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”मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए SC में दायर की याचिका”
जोगी ने कहा कि मैंने अपने परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए देश के सबसे बड़े न्याय का मंदिर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। चुनाव लड़ने के अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए मैंने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
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