TISS के नए कुलपति के लिए 10 उम्मीदवार, विवाद भी कम नहीं

TISS : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस देश का एक प्रमुख समाज विज्ञान का संस्थान है। पिछले साल 25 सितंबर से यह प्रतिष्ठित संस्थान स्थायी कुलपति के बिना है।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-12 19:56 IST

TISS : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) डीम्ड यूनिवर्सिटी के लिए कुलपति की तलाश आखिरकार तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, साक्षात्कार के लिए दस उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिनमें टिस के पांच अंदरूनी लोग भी शामिल हैं।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस देश का एक प्रमुख समाज विज्ञान का संस्थान है। पिछले साल 25 सितंबर से यह प्रतिष्ठित संस्थान स्थायी कुलपति के बिना है, जब प्रोफेसर शालिनी भरत का संस्थान के निदेशक के रूप में पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो गया था।

निदेशक का पद कुलपति के पद में बदल दिया गया, क्योंकि "टिस" केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गया। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से 50 फीसदी से अधिक धन प्राप्त हुआ। प्रोफेसर भरत के जाने के बाद से, आईआईएम मुंबई के निदेशक प्रोफेसर मनोज के. तिवारी अंतरिम कुलपति के रूप में कार्य कर रहे हैं।

माना जाता है कि प्रोफेसर शंकर दास, जो वर्तमान में संस्थान के प्रो वीसी के रूप में कार्यरत हैं, इस पद के लिए दावेदारी कर सकते हैं। हाल ही में प्रोफेसर दास ने गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स, पुणे के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है।

बताया जाता है कि TISS फिलवक्त अनेक संकटों से गुजर रहा है। फंड्स की कमी के चलते स्टाफ के 100 लोगों को टर्मिनेशन नोटिस तक भेजी गई थी, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया। सितंबर में TISS पर हैदराबाद में दीक्षांत समारोह के दौरान एक छात्र की डिग्री रोकने का आरोप लगा, क्योंकि छात्र ने फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 'काफिया' पहना था।

एक अन्य घटना में टिस मुंबई के तत्कालीन रजिस्ट्रार अनिल सुतार ने खुद द्वारा जारी एक कार्यालय आदेश में खुद को प्रोफेसर और प्रशासन प्रमुख घोषित कर दिया था।

वीसी की खोज पर भी उंगली उठाई गई है। आरोप है कि वीसी पद के दावेदारों में से एक इसी संस्थान के प्रोफेसर पर पहले उत्पीड़न का आरोप लग चुका है और इनका अकादमिक बैकग्राउंड भी अच्छा नहीं है।

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