फिर चुनाव की आहट से महागठबंधन में ठनी रार

Update:2019-08-30 12:10 IST
फिर चुनाव की आहट से महागठबंधन में ठनी रार

शिशिर कुमार सिन्हा

पटना। उम्र में सबसे छोटे तेजस्वी यादव इस समय महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल के नेता हैं। पार्टी नेतृत्व अपनी जगह और उसकी वर्तमान विधायक-शक्ति अपनी जगह- महागठबंधन के अन्य घटक दलों ने संकेतात्मक तरीके से ऐसा कहते हुए तेजस्वी को महागठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया। महागठबंधन बनने से अबतक पहली बार इसकी बैठक में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दायरे से बाहर निकलने की छटपटाहट साफ दिखी। यह बैठक हुई तो थी एकता दिखाने के नाम पर, लेकिन अनेकता दिखा गई। नेतृत्व के नाम पर सभी दलों ने अपना वजूद ज्यादा मजबूत बताया। उनके इस दावे को ताकत दी महागठबंधन की इस अहम बैठक में भी तेजस्वी यादव के मौन व्रत ने। मीडियाकर्मियों से मुखातिब होने की जिम्मेदारी हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (हम) सेक्युलर के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को मिली थी और उन्होंने नेतृत्व का सवाल सीधे-सीधे यह कहकर टाल दिया कि इसपर चर्चा ही नहीं हो रही।

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मांझी ने भले ही कुछ चर्चा नहीं होने की बात मीडिया को कही, लेकिन लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन की इस पहली बैठक में पहुंचे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और कांग्रेस को भी तेजस्वी यादव का नेतृत्व करना पसंद नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान ही महागठबंधन प्रत्याशियों के समर्थन में हुई चुनावी सभाओं में तेजस्वी यादव के नहीं पहुंचने से इन दलों में गहरी नाराजगी थी। महागठबंधन की बैठक तक इस नाराजगी में कमी नहीं आई। सभी नेताओं के मन में उस दूरी की वजह को लेकर तो सवाल है ही, परिणाम के बाद पूरी तरह से मैदान छोडऩे के तेजस्वी के रवैए से भी सारे असहज हैं। महागठबंधन के घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को ही फिलहाल तेजस्वी यादव में संभावना दिख रही है, बाकी इसपर सीधे मुंह कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। वीआईपी के समर्थन की वजह तेजस्वी का लोकसभा चुनाव पूर्व मिला साथ है। वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी को नीतीश कुमार के कहने पर भाजपा ने अंतिम समय में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में एंट्री नहीं दी थी। जब साहनी मझधार में थे तो तेजस्वी ने उन्हें महागठबंधन का सहारा दिया था।

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27 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पर हुई महागठबंधन की बैठक में महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेता मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर नेता वही थे, जो इस बैठक के बाहर एक-दूसरे के खिलाफ बयानों से भी चर्चा में रहते हैं। हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी महागठबंधन में एकता की बात करते हुए भी तेजस्वी के गायब रहने पर सवाल करते रहे हैं और उनके नेतृत्व को भी कमजोर बताते रहे हैं। लेकिन, बैठक की जानकारी मीडिया से साझा करने का जिम्मा मिला तो बाहर आए जीतन राम मांझी ने महागठबंधन के अटूट होने का दावा किया। यहां तक कहा कि महागठबंधन पहले से और अधिक मजबूत हो गया है। अब हम हर महीने इसी तरह बैठक करेंगे। हालांकि, मांझी ने यह भी कह दिया कि महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता को लेकर इस बैठक में चर्चा नहीं हुई है। बैठक में कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा तो आए ही थे, बिहार के सह-प्रभारी वीरेंद्र राठौड़ भी थे। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी भी आए, हालांकि मीडिया से कोई बात नहीं की। राजद की ओर से तेजस्वी यादव भी आए, लेकिन बोला प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने। पूर्वे ने 12 अगस्त को राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर महागठबंधन के नेताओं के जुटने की संभावना बताई।

मौन व्रत से तेजस्वी ने भांपा मूड

मां राबड़ी देवी के आवास पर हुई महागठबंधन की बैठक में तेजस्वी यादव रहे तो लेकिन औपचारिक आवभगत से अधिक बात नहीं की। उनका मौन व्रत यहां भी कायम रहा। महागठबंधन के नेताओं ने एक मंच से एकता की बात तो कर दी, लेकिन तेजस्वी के मौन व्रत पर भी चिंता करते हुए ही निकले। तेजस्वी को लेकर जितनी चर्चाएं राजनीतिक गलियारे में है, उसपर बैठक में भले सवाल नहीं उठा लेकिन निकलते-निकलते महागठबंधन के नेताओं ने इसपर बात जरूर की। सभी नेताओं ने बाहरी तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन चर्चाओं के आधार पर यह जरूर कहा कि तेजस्वी यादव अपने मौन व्रत के साथ इस बैठक में महागठबंधन का मूड भांप रहे थे।

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