Telangana Election 2023: तेलंगाना चुनाव में गरमाया मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा, भाजपा के दांव से दूसरे सियासी दल हुए सतर्क
Telangana Election 2023: भाजपा की ओर से इस ऐलान के बाद कांग्रेस, बीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम ने सतर्क रवैया अपनाते हुए भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है।
Telangana Election 2023: तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है। भाजपा की ओर से लगातार चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने की बात कही जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेता अपनी चुनावी सभाओं के दौरान लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा को सत्ता मिली तो राज्य में चार फ़ीसदी मुस्लिम आरक्षण पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
भाजपा की ओर से इस ऐलान के बाद कांग्रेस, बीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम ने सतर्क रवैया अपनाते हुए भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। इन सभी दलों की ओर से मुस्लिम आरक्षण की वकालत की जा रही है और ये दल इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
अमित शाह का बड़ा सियासी दांव
तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम आरक्षण खत्म करने के वादे के साथ ही ओबीसी कार्ड चलकर विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ा रखी है। गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी एक चुनावी सभा के दौरान ऐलान किया कि मुस्लिम आरक्षण खत्म करने के साथ ही तेलंगाना में ओबीसी मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
शाह ने मुस्लिम आरक्षण खत्म करके ओबीसी, एससी और एसटी का कोटा बढ़ाए जाने की बात भी कही है।
दरअसल भाजपा हिंदुत्व कार्ड खेलने के साथ ही ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। अमित शाह अपनी रेलियों में कांग्रेस और बीआरएस दोनों को पिछड़ा वर्ग विरोधी बताते हुए भाजपा के लिए समर्थन मांग रहे हैं।
कांग्रेस का मुस्लिम आरक्षण का वादा
तेलंगाना में मजबूती से चुनाव लड़ रही कांग्रेस के घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की बात कही गई है जबकि दूसरी ओर भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में धर्म आधारित चार फ़ीसदी मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने की बात कही है। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों और राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया गया है। भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में आने पर कई मुफ्त योजनाओं को लागू करने के साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को भी लागू करने का वादा किया है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने मुसलमानों को आरक्षण देने और अल्पसंख्यक कल्याण कोष में 4000 करोड़ रुपए का इजाफा करने की बात भी कही है। पार्टी ने सत्ता मिलने पर छह महीने के भीतर राज्य में जातीय जनगणना करने का वादा भी किया है। कांग्रेस ने कहा है कि सभी बैकवर्ड क्लास, जिसमें अल्पसंख्यक सामुदाय भी शामिल है, उनके लिए शिक्षा, नौकरियों और सरकारी योजनाओं में आरक्षण के प्रावधान को लागू किया जाएगा।
दूसरे दलों ने किया भाजपा पर हमला
भाजपा पिछले कई महीने से मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को गरमाने की कोशिश में जुटी हुई है। गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अप्रैल महीने में ही इस बात का ऐलान किया गया था और उसके बाद कांग्रेस, बीआरएस और एआईएमआईएम ने शाह पर सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने का आरोप लगाया था। दरअसल इन नेताओं का कहना था कि जब यह मामला शीर्ष अदालत में लंबित है तो भाजपा की ओर से इसे खत्म करने की बात नहीं कहीं जानी चाहिए।
तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को चार फ़ीसदी आरक्षण दिया गया है। शब्बीर का आरोप है कि भाजपा की ओर से जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है और इसके साथ ही पार्टी के नेता राज्य में सांप्रदायिक घृणा का माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
ओवैसी ने बताया भाजपा का दोहरा मापदंड
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि भाजपा की ओर से दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़े मुसलमान की स्थिति में सुधार लाने पर जोर देते हैं तो दूसरी ओर गृह मंत्री अमित शाह मुसलमानों का आरक्षण खत्म करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री शाह तेलंगाना में मुस्लिम विरोधी नफरत वाले भाषण देकर माहौल खराब कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस आरक्षण को खत्म करने की जगह केंद्र सरकार को 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। बीआरएस प्रवक्ता रावुला श्रीधर रेड्डी का कहना है कि भाजपा नेता मुस्लिम कोटा को धार्मिक मुद्दे में बदलकर सियासी लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी प्रकार तेलंगाना की सत्ता हथियाना चाहती है और इसीलिए इस मुद्दे को गरमाया जा रहा है।