कोटा से ज्यादा जोधपुर में बुरे हालात, 146 बच्चों ने तोड़ा दम, निशाने पर गहलोत सरकार

राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 बच्चों की मौत का मामला रुका भी नहीं कि राजस्थान के अन्य शहर जोधपुर में तो इससे भी बुरे हालात की खबर है। बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां दिसंबर के महीने में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है।

Update: 2020-01-04 15:33 GMT

जोधपुर: राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 बच्चों की मौत का मामला रुका भी नहीं कि राजस्थान के अन्य शहर जोधपुर में तो इससे भी बुरे हालात की खबर है। बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां दिसंबर के महीने में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है।

 

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मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ के अनुसार, जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में हर दिन औसतन करीब 5 बच्चों की मौतें रिकॉर्ड की जा रही है। दिसंबर 2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 146 बच्चों ने दम तोड़ा है। इनमें 98 नवजात है।उनका कहना है कि साल 2019 में( NICU PICU ) में कुल 754 बच्चों की मौत हुई, यानी हर माह 62 की मौत हुई, लेकिन दिसंबर में अचानक यह आंकड़ा 146 तक जा पहुंचा। सभी मौतें एसएन मेडिकल कॉलेज से जुड़े बच्चों के अस्पताल उम्मेद अस्पताल में हुई है।

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इधर,राजस्थान के कोटा स्थित अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल शनिवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। उन्होंने इस पर और महाराष्ट्र में पोर्टफोलियो (विभागों के) वितरण पर भी चर्चा की। सोनिया गांधी के आवास पर हुई यह मुलाकात करीब 45 मिनट चली। पार्टी सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं ने राजस्थान में हुई बच्चों की मौत के मामले में चर्चा की। यहां एक साल से कांग्रेस सत्ता पर है। सरकारी अस्पताल में बच्चों की हुई मौतों ने पार्टी को राज्य में बैकफुट पर ला दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा या पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी कोटा जाएंगे? इस पर सूत्रों ने कहा कि इस बात को लेकर निर्णय लिया जाना अभी बाकी है।

 

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वही राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने स्वीकार किया है कि कोई ना कोई खामी रही होगी। साथ ही यह भी कहा कि जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पुरानी सरकार की तुलना में कम बच्चों की मौत के तर्क को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सरकार में आए 13 महीने हो चुके हैं। पुरानी सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। सरकार का रुख संतोषजनक नहीं है। इस मामले पर हमें जिम्मेदारी लेनी होगी। क्योंकि किसी मां की कोख उजड़ती है तो उसका तकलीफ वहीं जान सकती है। आखिर इतने बच्चों की मौत हुई है तो कोई न कोई कमी जरूर होगी। उस पर ध्यान देने की जरूरत है।

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