खत्म आतंकियों के आका: कांपी संगठन की रूह, सबसे बड़ी सफलता वाला साल 2020

घाटी में बीते छह महीने से भारतीय सेना के सुरक्षाबलों ने आतंकियों के निपटारे के लिए कई ऑपरेशन चलाए हैं। इन सर्च ऑपरेशनों के चलते देश को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।

Update: 2020-06-24 11:04 GMT

नई दिल्ली। घाटी में बीते छह महीने से भारतीय सेना के सुरक्षाबलों ने आतंकियों के निपटारे के लिए कई ऑपरेशन चलाए हैं। इन सर्च ऑपरेशनों के चलते देश को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने बताया है कि बीते चार सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकी ग्रुप जॉइन करने वालों से ज्यादा संख्या में आतंकियों का सफाया किया गया है। बता दें, इस साल अभी तक सुरक्षाबलों ने करीब 100 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतारा है।

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सबसे बड़ी सफलता वाला साल

आतंकवादी निपटारे के सर्च ऑपरेशन पर मिली कामयाबियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा है कि 2020 सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी सफलता वाला साल बन गया है।

इसके साथ ही उन्होंने हाल में मारे गए हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू का जिक्र किया। वहीं पुलवामा जैसे हमले की एक साजिश को नाकाम करने के बारे में भी जानकारी दी है।

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आतंकियों के सफाए

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा है कि ये सब कुछ करने में लंबा समय लगा है। बीते दो-तीन सालों से सुरक्षाबल इस अभियान में लगे हुए हैं। लेकिन 2018 के आखिरी से स्थितियां सुरक्षा बलों के पक्ष में मुड़नी शुरू हुईं।

आगे दिलबाग सिंह के अनुसार, सुरक्षा बलों ने अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क बहुत मजबूत किया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भरोसे में लिया गया है। यह भी ख्याल रखा गया कि आतंकियों के सफाए के दौरान स्थानीय लोगों को कोई परेशानी न आने पाए।

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एक साल के अंदर 119 आतंकी मारे गए

आतंकियों के मारे जाने पर उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल के अंदर 119 आतंकी मारे गए हैं। इनमें टॉप कमांडर रियाज नायकू, अब्दुल रहमान उर्फ फौजी भाई, जुबैर, कारी यासिर, जुनैद सहरी, बुरहान कोका और तैयब वालिद शामिल हैं।

दिलबाग सिंह का कहना है कि अपनी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने न सिर्फ आतंकियों का सफाया किया बल्कि ये भी खयाल रखा गया कि इन सबके दौरान पुलिसकर्मियों को कम से कम नुकसान हो।

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सफलता के पीछे दो मुख्य कारण

घाटी में फैली अशांति पर दिलबाग सिंह कहते हैं कि हमने धीरे-धीरे अराजकता पर काबू पाया है। सुरक्षाबलों के भीतर के आतंकरोधी अभियान की सफलता के पीछे दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

पहला ये है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने न सिर्फ अपने इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत बनाया बल्कि सुरक्षाबलों के साथ मिलकर आतंकियों के साथ मुठभेड़ में भी हिस्सा बने।

वहीं दूसरा ये है कि लंबे लॉकडाउन की वजह से घाटी में आतंकी खुले रूप में नहीं घूम पाए। उनकी लोकेशन पता करने के बाद उन्हें पकड़ने में सुरक्षा बलों को आसानी हुई।

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