जूते की अनूठी कहानीः आपको पता है, पहली जूती महारानी विक्टोरिया के लिए बनी थी
बाद के दिनों में चमड़े के जूते, चप्पल व सैंडिल चलन में आये। सबसे पुराना जूता आर्मेनिया की एक गुफा में पाया गया। जो ईसा से 3300 वर्ष पूर्व का माना जाता है। भौतिक मानव विज्ञानी एरिक ट्रैकोस के मुताबिक़ जूते का उपयोग 40 से 26 हज़ार वर्ष पूर्व के बीच शुरू हुआ होगा।
योगेश मिश्र
हम आप सब लोग जूता या चप्पल अपने पैरों में ज़रूर पहनते हैं। एक समय था कि लोग चटपटी और खडांऊ पहन कर काम चलाते थे। कुछ बड़े लोगों के पास ही जूते होते थे। वह भी पहनने के काम कम आता था। बहुधा जो लोग लाठी लेकर चलते थे और लाठी को कंधे पर रखते थे। उनके लाठी के एक छोर पर जूता लटका होता था। दूसरे छोर को मुट्ठी में थामे रहते थे।
हमने अपनी ज़िंदगी में जूता व चप्पल का जो शुरुआती दौर देखा, उसमें हवाई चप्पल और कपड़े के पीटी शू का भी दौर था। हवाई चप्पलें भी ऐसीं जिसकी स्टेप बदली जा सकती थी। स्टेप अलग से आती थी। पुरानी चप्पल की स्टेप टूट जाती थी तो सरसों का तेल लगाकर नई स्टेप को हवाई चप्पल के छेद में डालने का सफल प्रयास बड़ा सुकून देता था।
जूते का इतिहास
बाद के दिनों में चमड़े के जूते, चप्पल व सैंडिल चलन में आये। सबसे पुराना जूता आर्मेनिया की एक गुफा में पाया गया। जो ईसा से 3300 वर्ष पूर्व का माना जाता है। भौतिक मानव विज्ञानी एरिक ट्रैकोस के मुताबिक़ जूते का उपयोग 40 से 26 हज़ार वर्ष पूर्व के बीच शुरू हुआ होगा। 1938 में अमेरिका के ओरेगन में 800 से 700 ईस्वी पूर्व के सैंडिल उपलब्ध हैं।
समकालीन जूते शैली, जटिलता व लागत की दृष्टि से व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। मध्य युग तक मुड़े जूते का विकास हो चुका था।
जूते का वर्तमान स्वरूप 1933 में इंग्लैंड में प्रचलित हुआ। महिलाओं के लिए पहली जूती महारानी विक्टोरिया के लिए बनाई गयी। 1800 के आसपास तक जूते दायें व बायें पैर का भेदभाव किये बिना बनते रहे। इन्हें स्ट्रेटस कहा जाता है। शरीर के किसी अन्य अंग की तुलना में पैर में अधिक हड्डियाँ होती हैं।आम धारणा है कि जूते के पहनने से हड्डियों का कम विकास हुआ।
इसे भी पढ़ें भारत के माथे की बिंदी हिंदी, क्या इतिहास की भाषा बनने जा रही है
नतीजतन, पैर की अंगुलियाँ पतली और छोटी होती गई। आज तो जूते व चप्पलों की अनगिनत वरायटी आपके सामने मौजूद है। हर कंपनी के अपने अपने दावे हैं। स्पोर्ट्स शू का भी बड़ा बाज़ार है। कपड़ों की तरह ही जूते, चप्पलों, सैंडिलों की मैचिंग होती है। चूँकि शरीर का सारा भार पैरों पर ही रहता है इसलिए जूते, चप्पलों व सैंडिलों का चुनाव करते समय सतर्कता से काम लेना चाहिए।