इस पुस्तकालय में मिलेगा दुर्लभ किताबों का संग्रह, औरंगजेब की लिखी कुरान भी है यहां

23 अप्रैल 1564 को शेक्सपीयर ने दुनिया को अलविदा कहा था, जिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवादित है। जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएं लिखीं। साहित्य-जगत में शेक्सपीयर का जो स्थान  है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को  विश्व पुस्तकालय दिवस

Update:2020-04-22 23:40 IST

लखनऊ 23 अप्रैल 1564 को शेक्सपीयर ने दुनिया को अलविदा कहा था, जिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवादित है। जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएं लिखीं। साहित्य-जगत में शेक्सपीयर का जो स्थान है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तकालय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब अब तक यह दिवस मनाया जा रहा है। इस बार कोरोना महामारी के चलते हैं इस दिन कुछ नही होगा। इसी दिवस पर एक ऐसी लाइब्रेरी के बारे में बता रहे हैं जहां दुनिया की दुर्लभ किताबे है। और कई प्रतियां हैं।

जी हां हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षा के केंद्र दारुल उलूम देवबंद की लाईब्रेरी में मुगलकालीन और ब्रिटिश शासन की दुर्लभ किताबों को सहेज कर रखा गया है। यहां औरंगजेब के जवाने की किताबें मौजूद हैं। दारुल उलूम देवबंद की इस ऐतिहासिक लाईब्रेरी में करीब डेढ़ लाख पुस्तकें मौजूद हैं। इसमें से ज्‍यादातर पुस्तकें विभिन्न समुदाय के लोगों ने संस्था को दान में दिया है। दारुल उलूम में स्थित यह देश की पहली लाईब्रेरी है जिसको न तो सरकारी सहायता प्राप्त है और न ही संस्था की ओर से इसके लिए कोई बजट निर्धारित है।

 

यहां हस्तलिखित पुस्तकें

लाईब्रेरी में 17 भाषाओं में विभिन्‍न विषयों पर आधारित पुस्तकें उपलब्ध हैं।इनमें अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, पंजाबी, तेलगू, तमिल, फ्रांसीसी, बंगला, तुर्की, मलयालम, मराठी, सिंधी और बरमी भाषाएं शामिल हैं।लाईब्रेरी में हस्तलिखित पुस्तकों की भी बड़ी संख्या मौजूद है। जो फन्नेखताती (हस्तलिखित कला) का सर्वोच्च उदाहरण है।

 

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औरंगजेब द्वारा लिखित पुस्‍तक

800-900 सालों पुराने राजा-महाराजाओं, नवाबों और बादशाहों के शासनकाल में लिखी गई हस्तलिखित ऐतिहासिक पुस्तकें यहां की गरिमा बढ़ा रही हैं।प्रमुख मुगल सम्राट औरंगजेब व आलमगीर द्वारा लिखित कुरान शरीफ, कुंदन लाल सिकंदराबादी की अमीरनामा और सुल्तान सिंह की गुलिस्तां शेख सादी यहां मौजूद है।वर्तमान में करीब हजारों स्‍टूडेंट्स यहां नि:शुल्क पुस्तक वाचन सुविधा प्राप्त कर रहे हैं।इसी लाइब्रेरी से प्रत्येक स्‍टूडेंट को सत्र के आरंभ में पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं।

देश के कोने-कोने से आते हैं शोधकर्ता

जो कि सत्र की समाप्ति पर वापिस ले ली जाती है।अरब देशों, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, अफगानिस्तान सहित विश्वभर के शोधकर्ता इस्लाम धर्म के विषयों पर शोध करने के लिए समय-समय पर पुस्तकालय से संपर्क करते रहते हैं।देश के कोने-कोने से शोध करने वालों की भीड़ यहां लगी रहती है।

12 कमरों में बनी है ये लाईब्रेरी

वर्तमान में यहां केवल कुरान शरीफ के विभिन्‍न 17 पहलुओं पर हजारों किताबें उपलब्ध हैं।यह लाईब्रेरी तीन बड़े हॉल और 12 छोटे-बड़े कमरों में स्थापित है।एक हॉल में केवल अरबी और एक हॉल में उर्दू की पुस्तकें सजाई गई हैं।एक अन्य कमरे में अनमोल व नायाब पुस्तकों को संजोया गया है।

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नाम के साथ सजी हैं किताबें

एक कमरे में दारुल उलूम के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों द्वारा विभिन्‍न विषयों पर लिखी गई पुस्तकों को खूबसूरत अलमारियों में नाम सहित रखा गया है। इन विद्वानों में हजरत मौलाना कासिम नानौतवी, अल्लामा अनवर शाह कश्मीरी, मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी, मौलाना अशरफ अली थानवी, अल्लामा शब्बीर अहमद उस्मानी और मौलाना फखरुल हसन गंगोही प्रमुख हैं। लाइब्रेरी का नया भवन भी तैयार हो रहा है।

पुस्तकों और अवलोकन के लिए आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दारुल उलूम की सर्वोच्च खंडपीठ मजलिस-ए-शूरा ने कुछ साल पहले लार्इब्रेरी के नए भवन का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद लाईब्रेरी के नए भवन का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। बाब-ए-जाहिर गेट के सामने बनने वाली सात मंजिला लाईब्रेरी की इमारत की करीब छह मंजिलें तैयार हो चुकी हैं।

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