अदालत की अवमानना में फंसे ये बड़े दल, अब क्या होगा

इस बात का खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के संदर्भ एडीआर ने सिफारिश की है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव खर्च की सीमा के संबंध में कानून मंत्रालय को कदम उठाने चाहिए जबकि चुनाव आयोग 2015 में ही इस आशय की सिफारिश कर चुका है।

Update: 2020-11-13 08:37 GMT
अदालत की अवमानना में फंसे ये बड़े दल, अब क्या होगा (PC: social media)

लखनऊः महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस, एनसीपी, आईयूएमएल, जेडीएस, शिवसेना और आरएलडी ने चुनाव खर्च विवरण आज की तारीख (लगभग 300 दिनों बाद भी) तक दाखिल नहीं किया है। जबकि जेडीयू, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव खर्च का विवरण 41 दिन, 136 दिन व 254 दिन की देरी से प्रस्तुत किया। जो कि उच्चतम न्यायालय के 4 अप्रैल 1996 के फैसले का सीधा उल्लंघन है। गौरतलब है कि इस निर्देश में चुनाव आयोग को कहा गया था कि आयोग सभी मान्यता प्राप्त दलों के विवरण का प्रारूप तैयार करें।

ये भी पढ़ें:चीन का खतरनाक खेल: भारत की सेना तुरंत हो गई अलर्ट, पाकिस्तान बना छोटा भाई

बात का खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है

इस बात का खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के संदर्भ एडीआर ने सिफारिश की है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव खर्च की सीमा के संबंध में कानून मंत्रालय को कदम उठाने चाहिए जबकि चुनाव आयोग 2015 में ही इस आशय की सिफारिश कर चुका है।

जरूरत इसी बात की है कि राजनीतिक दलों के पास पैसा कहां से आ रहा है इसकी व्यापक पड़ताल होनी चाहिए और यह तभी हो सकता है जबकि इन दलों को पैसा देने वाले दानदाताओं की जानकारी सार्वजनिक हो। क्योंकि ये दानवीर सिर्फ चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को पैसा देते हैं।

सभी राजनीतिक दलों को वार्षिक दान रिपोर्ट की तरह चुनाव अवधि के दौरान प्राप्त चंदे का ब्यौरा चुनाव आयोग को जमा करना चाहिए जिससे वित्तीय पारदर्शिता और काले धन का असर कम हो।

चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गए पारदर्शिता निर्देशों के अनुसार, जहां तक संभव हो चुनाव खर्च को चेक/डीडी/बैंक ट्रांसफर के माध्यम से लेन देन तक सीमित किया जाना चाहिए।

जिस तरह से उम्मीदिारों के खर्च की निगरानी के लिए चुनाव आयोग के चुनाव समीक्षक होते हैं उसी तरह से राजनीतिक दलों के खर्च की निगरानी के लिए भी समीक्षक होना चाहिए।

ये भी पढ़ें:सावधान: प्रदूषण फैलाने वालों की खैर नहीं, लगा 50 हजार रूपये का झटका

चुनाव खर्च विवरण में दी गई जानकारी

महाराष्ट्र और हरियाणा विधान सभा चुनाव 2019 में 11 राजनीतिक दलों ने कुल रु 367.80 करोड़ एकत्रित किये और इन दलों का कुल व्यय रु 135.72 करोड़ रहा

सभी राजनीतिक दलों ने कुल मिलाकर केंद्रीय मुख्यालय द्वारा रु 266.706 करोड़ की आय जमा की और रु 31.318 करोड़ की राशी का व्यय किया। महाराष्ट्र राज्य इकाई से दलों ने कुल रु 82.652 करोड़ और हरियाणा राज्य इकाई से रु 21.75 करोड़ की राशी का व्यय किया।

एआईएफबी और जेडीयू केवल दो पार्टियां ऐसी हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने के बावजूद केंद्र और राज्य इकाई स्तर पर कुछ भी राशी प्राप्त नही की।

एआईएफबी और जेडीयू केवल दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने के बावजूद केंद्र और राज्य इकाई स्तर पर कोई भी खर्च नही किया है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News