ये कंपनियाँ कर रहीं टीके पर काम
कोरोना वायरस का टीका बनाने में नेसेंट बायोटेक, नैनो विरीसाइड्स, आयतु बायोसाइंस, वैक्सआर्ट, मोडेरना आदि प्रमुख कंपनियाँ हैं जो बहुत तेजी से काम कर रही हैं। इनके ट्रायल का चरण शुरू होने वाला है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का टीका बनाने में नेसेंट बायोटेक, नैनो विरीसाइड्स, आयतु बायोसाइंस, वैक्सआर्ट, मोडेरना आदि प्रमुख कंपनियाँ हैं जो बहुत तेजी से काम कर रही हैं। इनके ट्रायल का चरण शुरू होने वाला है।
- चीन ने कहा है कि कोरोना के टीके का काम पूरा हो गया है और इनसानों पर परीक्षण इसी महीने शुरू हो जाएगा।
- जर्मनी के पॉल एरलिच इंस्टीट्यूट को टीके के मानव परीक्षण की मंजूरी मिल गई है।
- इजरायल के वैज्ञानिक डाक्टर जोनाथन गेरशोनी को टीका विकसित करने की डिजाइन के लिए पेटेंट मिला है। कोरोना संबन्धित टीके का दुनिया में ये पहला पेटेंट है। डॉ जोनाथन की तकनीक में वायरस के केंद्र को टारगेट किया जाएगा।
- दिग्गज फार्मा कंपनी ‘सनोफी’ और ’जीएसके’ मिल कर टीका बनाने का काम कर रही हैं।
- यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने शोधकर्ता जल्द अपने टीके का मानव ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं। इनका प्लान सितंबर तक टीके की 10 लाख डोज़ बना लेने का है।
- अमेरिका की ‘आल्टीइम्यून’ कंपनी एक ऐसा टीका बना रही जो नाक द्वारा दिया जाएगा। पशुओं पर इसका ट्रायल शुरू होने वाला है। इस कंपनी ने फ्लू का टीका बनाया था।
- इजरायल का माइगल रिसर्च इंस्टीट्यूट ब्रोंकाइटिस वायरस के टीके में फेरबदल करके कोरोना का टीका बना रहा है।
- कनाडा की जेनेरेक्स बायोटेक चीन की कई कंपनियों के साथ मिल कर टीका विकसित करने का काम कर रही है। इसका शीघ्र ही मानव ट्रायल किए जाने की उम्मीद है।
यह पढ़ें....COVID-19: दिल्ली में लाॅकडाउन की उड़ी धज्जियां, सोशल डिस्टेंसिंग हुई तार-तार
भारत की कंपनियाँ
भारत में भी कोरोना का टीका बनाने का काम कई कंपनियाँ कर रही हैं। बायोटेक्नोलोजी इंडस्ट्री रिसर्च एसिसटेन्स काउंसिल और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलोजी ने कोरोना से संबन्धित 16 प्रोजेक्ट्स को फंडिंग के लिए चुना है। इन प्रोजेक्ट्स में टीके, दवा और प्रोद्योगिकी पर काम चल रहा है। इनको पैसे के अलावा अन्य पूरी मदद दी जाएगी ताकि जल्द से जल्द काम पूरा हो जाये।
यह पढ़ें....सावधान: ATM से भी फैल रहा है कोरोना, कैश निकालते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
इनमें कैडिला हेल्थकेयर और भारत बायोटेक प्रमुख हैं। इन दोनों के टीके अभी मानव ट्रायल की स्टेज में नहीं पहुंचे हैं। कैडिला हेल्थकेयर पारंपरिक तकनीक के साथ साथ डीएनए तकनीक से टीका बनाने पर काम कर रही है। भारत बायोटेक जिस तकनीक पर काम कर रही है उसमें मृत रेबीज वायरस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी एक टीके पर काम कर रहा है जिसे जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है।