इंडिया का नाम बदलेगा ये शख्स, वजह जान आप भी सोच में पड़ जाएंगे
'हर जगह अपने देश का नाम अलग अलग तरीके से लिखा जाता है। इंडिया का नाम एक होना चाहिए ।
नई दिल्ली: अपने देश का नाम भारत या हिंदुस्तान रखने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दी है। दरअसल दिल्ली में रहने वाले नमह नाम के शख्स ने वकील राज किशोर चौधरी की मदद से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। नमह ने दायर याचिका में कहा था कि देश को मूल और प्रामाणिक नाम भारत द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।
'इंडिया' शब्द से क्या है दिक्कत
याचिकाकर्ता नमह ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट लाइव लॉ. इन से बातचीत करते हुए बोला कि, 'हर जगह अपने देश का नाम अलग अलग तरीके से लिखा जाता है। इंडिया का नाम एक होना चाहिए । भारत के कई नाम हैं जैसे रिपब्लिक ऑफ इंडिया, भारत, इंडिया, भारत गणराज्य वगैर। इतने नाम नहीं होने चाहिए । हमें नहीं पता कि क्या कहना है। अलग कागज पर अलग नाम है। आधार कार्ड पर 'भारत सरकार' लिखा है, ड्राइविंग लाइसेंस पर 'यूनियन ऑफ इंडिया, पासपोर्ट्स पर 'रिपब्लिक ऑफ इंडिया', इससे कन्फ्यूजन होता है। यह एकता का समय है। '
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'एक आवाज़ एक देश'
उन्होंने आगे बोला कि, 'हर एक को देश का नाम पता होना चाहिए। नाम एक ही होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी कहते हैं 'एक आवाज, एक देश.' वह आगे कहते हैं, 'अनुच्छेद 1 में संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि इस देश के नागरिक अपने औपनिवेशिक अतीत को अंग्रेजी नाम को हटाने" के रूप में प्राप्त करेंगे, जो एक राष्ट्रीय भावना पैदा करेगा।
लोगों को पहुँचती है ठेस
नमह की माने तो, 'इंडिया' नाम को हटाने में भारत संघ की ओर से विफलता हुई है जो गुलामी का प्रतीक है। लोगों को इससे ठेस पहुँचती है। जिसके परिणामस्वरूप विदेशी शासन से कठिनाई से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वतंत्रता के उत्तराधिकारियों के रूप में पहचान और लोकाचार की हानि हुई है। आपको बता दे कि संविधान के प्रारूप 1 के अनुच्छेद 1 पर बहस करते हुए एम अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास ने "इंडिया" की जगह "भारत, भारतवर्ष, हिंदुस्तान" नामों को अपनाने की वकालत की थी।
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