विशाखापत्तनम में पुराने दिग्गज के खिलाफ जोर आजमाइश में लगे तीन नए चेहरे

पूर्व केंद्रीय मंत्री दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (भाजपा), पूर्व आईपीएस अधिकारी वी वी लक्ष्मी नारायण (जन सेना पार्टी), स्टैनफोर्ड से स्नातक एम श्री भरत (तेलुगु देशम पार्टी) और रियल स्टेट के कारोबारी एम वी वी सत्यनारायण (वाईएसआर कांग्रेस) इस संसदीय सीट के प्रमुख दावेदार हैं।

Update:2019-04-09 13:58 IST

विशाखापत्तनम: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को तटीय शहर विशाखापत्तनम में होने वाले चुनावी समर में जहां एक तरफ पुराने राजनीति धुरंधर हैं, तो दूसरी ओर उनके सामने तीन नये चेहरे हैं, जो इस चुनावी दंगल को अपने नाम करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (भाजपा), पूर्व आईपीएस अधिकारी वी वी लक्ष्मी नारायण (जन सेना पार्टी), स्टैनफोर्ड से स्नातक एम श्री भरत (तेलुगु देशम पार्टी) और रियल स्टेट के कारोबारी एम वी वी सत्यनारायण (वाईएसआर कांग्रेस) इस संसदीय सीट के प्रमुख दावेदार हैं।

कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार को इस सीट से उतारा है, लेकिन नौ अन्य लोगों के बीच उनकी संभावनाएं बहुत अच्छी नहीं दिख रही हैं।

विशाखापत्तनम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में से चार मुख्य शहर में हैं, जबकि दो उपनगर में हैं और एक पड़ोसी जिले विजयनगरम का एक ग्रामीण इलाका है।

विशाखापत्तनम बहुत बड़ा शहर है, जहां पूर्वी नौसेना कमान का मुख्यालय है और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विजाग स्टील प्लांट और विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट जैसे प्रमुख केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का हब है।

यह विप्रो, टेक महिंद्रा और फ्रैंकलिन टेम्पलटन जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ एक सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भी उभर रहा है, जो यहां अपने संचालन का विस्तार कर रहे हैं।

पहाड़ियों के बीच और समुद्र के किनारे बसे, विजाग नाम से लोकप्रिय यह शहर लंबे समय से आंध्र प्रदेश में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण रहा है और अब यह ‘‘स्मार्ट सिटी’’ में बदल रहा है।

विशाखापत्तनम लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कंभमपति हरिबाबू ने 2014 में वाईएसआर कांग्रेस के मानद अध्यक्ष वाई एस विजयम्मा से 90,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी।

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भाजपा तब टीडीपी के साथ गठबंधन में थी। इस बार, हरिबाबू ने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया, जिससे एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमाने के लिए पुरंदेश्वरी का मार्ग प्रशस्त हो गया, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2009 में यहां से जीत हासिल की थी।

(भाषा)

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