पंचतत्व में विलीन होंगे 'पूर्व राष्ट्रपति', अंतिम दर्शन के लिए दिग्गजों का लगा जमावड़ा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है।  सोमवार की शाम उनका निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को सेना के ‘रिसर्च ऐंड रेफ्रल हास्पिटल’ में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनकी सर्जरी की गई थी।

Update: 2020-09-01 04:26 GMT
 सोमवार की शाम उनका निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को सेना उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं।

नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। सोमवार की शाम उनका निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को सेना के ‘रिसर्च ऐंड रेफ्रल हास्पिटल’ में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनकी सर्जरी की गई थी। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे प्रणब मुखर्जी 7 बार सांसद रहे।

 

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अंतिम संस्कार आज

परिवार के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन उनके निवास स्थान से होगा। जो 10, राजाजी मार्ग, नई दिल्ली पर आज (01/09/2020) सुबह 11.00 से 12.00 बजे तक किया जा सकेगा। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 2 बजे लोधी रोड श्मशान घाट में होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थोड़ी देर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजाजी मार्ग स्थित उनके आवास पर पहुंचेंगे। इससे पहले पूरे इलाके को सैनिटाइज कर लिया गया है।

राजकीय शोक

सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर राजकीय शोक की घोषणा की है। गृह मंत्रालय ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में भारत में 31 अगस्त से लेकर छह सितंबर तक राजकीय शोक रहेगा। इस दौरान देश भर में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा ,जहां ध्वज लगा रहता है। श्री मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे। उनके निधन पर सबने शोक जताया।

 

फाइल

युवा वित्त मंत्री रहे

47 साल की उम्र में वो 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। प्रणब मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी 8 वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे।

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प्रणब मुखर्जी पांच साल राष्ट्रपति भवन में रहे और इस दौरान उन्होंने कई बदलाव किए। वह ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने सबसे ज्यादा दया याचिकाएं खारिज कीं। उनके समय में कुल पांच दया याचिकाएं मंजूर हुईं, जबकि 30 खारिज की गईं। उन्होंने राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन, दोनों को वीआईपी दायरे से निकाला। महामहिम शब्द को बंद कराया।

 

यूपीए में उनका कद पीएम से कम नहीं था। पार्टी और सरकार के बीच पुल का काम वही करते थे।

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