Presidential Election 2022: द्रौपदी मुर्मू से पहले भी आदिवासी नेता लड़ चुके हैं राष्ट्रपति चुनाव, जानिये कौन थे वो

Presidential Election 2022: द्रौपदी मुर्मू से पहले साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के खिलाफ दिग्गज आदिवासी नेता पीए संगमा ने चुनाव लड़ा था। लेकिन संगमा वह चुनाव जीत नहीं पाए थे।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-06-24 11:44 GMT

पीए संगमा और द्रौपदी मुर्मू।  

India Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर देश में सियासी बिसात बिछ चुकी है। विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Former Union Minister Yashwant Sinha) को तो सत्तारूढ़ एनडीए ने आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू (NDA tribal leader Draupadi Murmu) पर दांव चला है। द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति उम्मीदवारी के ऐलान के साथ ही देश में एक नया बहस छिड़ गया है। दरअसल झारखंड की पूर्व राज्यपाल रहीं मुर्मू अगर यह चुनाव जीतने में सफल रहती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। ऐसे में लोगों में राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव को लेकर दिलचस्पी बढ़ गई है।

हालांकि, द्रौपदी मुर्मू से पहले भी आदिवासी नेता राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुके हैं। साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2012) में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के खिलाफ दिग्गज आदिवासी नेता पीए संगमा (Tribal leader PA Sangma) ने चुनाव लड़ा था। लेकिन संगमा वह चुनाव जीत नहीं पाए थे।

पीए संगमा ने लड़ा था राष्ट्रपति चुनाव

उत्तर – पूर्व से आने वाले दिग्गज ट्राइबल लीडर पीए संगमा (Tribal leader PA Sangma) ने सत्ताधारी गठबंधन यूपीए और अपनी पार्टी एनसीपी से बगावत करते हुए साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2012) लड़ने का ऐलान किया था। संगमा को बीजेपी, बीजेडी और एआईडीएमके जैसी विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल था। संगमा मानते थे कि देश में आदिवासियों को उच्चतम स्तर पर प्रतिनिधित्व की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि दशकों से आदिवासियों का समर्थन प्राप्त करती आ रही पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं किया।

प्रणब से चुनाव हार गए थे संगमा

विपक्ष के समर्थन के बावजूद पीए संगमा (Tribal leader PA Sangma) राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) से पिछड़ गए। यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) 7,13,763 वोट के साथ संगमा को पछाड़ते हुए देश के राष्ट्रपति बने थे। वहीं विपक्ष के उम्मीदवार संगमा को 3,13,987 वोट ही मिल पाया। इस प्रकार संगमा देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनने से चूक गए।

पीए संगमा का सफर

लोकसभा के अध्यक्ष रह चुके संगमा आठ बार इस सदन के लिए चुने गए हैं। इसके अलावा वह मेघालय के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनका जन्म 1 सितंबर 1947 को मेघालय के पश्चिमी गारो हिल जिले के चपाहटी गांव में हुआ था। शिक्षक से वकील और फिर राजनेता बने पूर्णो अगितोक संगमा ने अपने सियासी सफर की शुरूआत कांग्रेस से की। 1977 के लोकसभा चुनाव में वह पहली बार तुरा लोकसभा सीट से सांसद बने। वो आठ बार इस सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। 2016 में अपने देहांत के समय भी वह इसी सीट से सांसद थे। साल 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर उन्होंने एनसीपी बनाई थी। 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने को लेकर शरद पवार से मतभेद के कारण उन्होंने एनसीपी भी छोड़ दी थी।

वर्तमान में उनके बेटे और मेघालय के सीएम कोनरॉड संगमा (Meghalaya CM Conrad Sangma) राजनीति में उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का बीजेपी के साथ गठबंधन है। कोनरॉड की बहन अगाथा संगमा भी राजनीति में एक्टिव हैं। यूपीए सरकार के दूसरे कार्य़काल के दौरान अगाथा एनसीपी कोटे से केंद्र में मंत्री भी बनी थीं।

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