Shivsena News: कभी भाई से छीनी थी पार्टी की कमान अब शिंदे से मिली हार, मुश्किल हुई आगे की सियासी राह

Shivsena News: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया है। आयोग ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी है। आयोग के फैसले के मुताबिक अब पार्टी का नाम शिवसेना और चुनाव चिह्न तीर-कमान शिंदे गुट के पास रहेगा।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-02-18 06:07 GMT

Uddhav Thackeray or Raj Thackeray (Photo: Social Media)

Shiv Sena News: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया है। आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी है। आयोग के फैसले के मुताबिक अब पार्टी का नाम शिवसेना और चुनाव चिह्न तीर-कमान शिंदे गुट के पास रहेगा। शिवसेना में पिछले साल हुई बगावत के बाद उद्धव और शिंदे गुटों के बीच पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर जंग चल रही थी जिसमें चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद उद्धव की आगे की सियासी राह काफी मुश्किल मानी जा रही है।

राज को दरकिनार कर उद्धव को शिवसेना

शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने राज ठाकरे की दावेदारी को दरकिनार करते हुए उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपी थी। उस समय शिवसैनिक बाल ठाकरे की सियासी शैली की झलक राज ठाकरे में देखते थे और उन्हें ही बाल ठाकरे की विरासत का वारिस समझने लगे थे। उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की स्वीकार्यता और लोकप्रियता ज्यादा होने के बावजूद बाल ठाकरे ने शिवसेना की कमान उद्धव को सौंपी थी मगर अब उद्धव के हाथों से शिवसेना का नाम और चुनाव निशान दोनों छिन गया है।

फैसले को बताया लोकतंत्र की हत्या 

शिवसेना में हुई बगावत के बाद उद्धव ठाकरे लगातार सियासी रूप से कमजोर पड़ते जा रहे हैं। पार्टी का नाम और चुनाव निशान छिनने के बाद उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है। आयोग के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए उद्धव ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से हमारे सैनिक तनिक भी हतोत्साहित नहीं हैं और हम पूरी आक्रामकता के साथ उनका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे गुट के लोगों ने हमारे चुनाव निशान तीर-कमान को चुरा लिया है मगर शिंदे गुट को यह चोरी हजम नहीं होने वाली है। महाराष्ट्र के लोग सबकुछ देख रहे हैं और वे इस चोरी का बदला जरूर लेंगे। उन्होंने कहा कि हमने चुनाव आयोग से सर्वोच्च न्यायालय से पहले इस बाबत फैसला न लेने का अनुरोध किया था मगर आयोग ने एकतरफा फैसला सुना दिया। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मजबूत लड़ाई लड़ेंगे।

इस तरह मिली थी शिवसेना की कमान

शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना का गठन किया था। एक कार्टूनिस्ट से राजनेता बने बाल ठाकरे ने अपने जीवनकाल में शिवसेना को महाराष्ट्र की मजबूत ताकत बना दिया। अपने जीवनकाल के दौरान बाल ठाकरे ने न कभी चुनाव लड़ा और न उन्होंने कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया। इसके बावजूद शिवसेना के गठन के बाद वे महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे मजबूत धुरी बने रहे। 

उनके कार्यकाल के दौरान शिवसेना की छवि फायरब्रांड हिंदुत्व और मराठी मानुष की राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में रही है। शिवसेना के मजबूत नेता माने जाने वाले राज ठाकरे की कार्यशैली भी पार्टी की सियासत के पूरी तरह अनुकूल थी। शिवसेना में राज ठाकरे को बाल ठाकरे के वारिस के रूप में देखा जाने लगा था मगर बाल ठाकरे ने अपनी विरासत भतीजे राज ठाकरे की जगह बेटे उद्धव ठाकरे को सौंपी।

राज ठाकरे को कर दिया था दरकिनार 

उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान मिलने के बाद कुछ नेताओं को राज ठाकरे उद्धव की सियासी राह का कांटा लगने लगे। उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना में राज ठाकरे को दरकिनार किया जाने लगा। राज ठाकरे की लोकप्रियता को इसका बड़ा कारण माना जाता था। उद्धव ठाकरे को पार्टी की कमान मिलने के बाद शिवसेना का एक धड़ा मान रहा था कि आगे चलकर राज ठाकरे उद्धव के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। इसीलिए उन्हें पार्टी में किनारे करने की रणनीति पर अमल किया गया।

राज ठाकरे उद्धव की इस रणनीति को भांप गए और अपनी फायरब्रांड नेता की छवि को बचाए रखने के लिए उन्होंने 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। हालांकि शिवसेना से निकलने के बाद राज ठाकरे मनसे को महाराष्ट्र की बड़ी सियासी ताकत बनाने में कामयाब नहीं हो सके। उद्धव की अगुवाई में शिवसेना जरूर महाराष्ट्र की बड़ी सियासी ताकत बनी रही मगर अब उद्धव की आगे की सियासी राह काफी मुश्किल मानी जा रही है।

आयोग का फैसला लोकतंत्र की जीत

चुनाव आयोग के फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि आयोग का फैसला लोकतंत्र और बहुमत की जीत है क्योंकि लोकतंत्र में बहुमत का ही महत्व है। उन्होंने कहा कि शिवसेना में बगावत के बाद पार्टी का बहुमत हमारे साथ है और इसी आधार पर चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि यह दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के विचारों की विजय है। शिवसेना आगे भी बाल ठाकरे के विचारों पर ही आगे बढ़ेगी। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्हें पहले ही इस तरह के फैसले की उम्मीद थी क्योंकि शिवसेना का बहुमत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ है। 

अब सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार

अब इस मामले में हर किसी को सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार है। उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि हमें न्यायपालिका से पूरी उम्मीद है और हम आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। बड़ी सियासी हार में उद्धव की रणनीति को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। उन्होंने मौके की राजनीति करते हुए हिंदुत्ववादी विचारधारा से पाला बदलकर कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार बनाई थी जबकि बाला साहेब ठाकरे जीवन भर इन दोनों दलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे। सियासी जानकारों का मानना है कि अब देखने वाली बात यह होगी कि उद्धव शिवसैनिकों का समर्थन पाने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं और शिंदे गुट के खिलाफ लड़ाई को किस अंजाम तक पहुंचा पाते हैं।

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