साईं जन्मभूमि विवाद: CM ठाकरे के बयान से भड़के शिरडी के लोग, किया बंद का ऐलान

शिरडी ग्राम सभा ने फैसला किया है कि जब तक मुख्यमंत्री ठाकरे अपना बयान वापस नहीं लेते हैं, तब तक उनका बंद जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने शिरडी के लोगों से रविवार के बंद को वापस लेने की बात कही है। शिवसेना एमएलसी नीलम गोरे ने एक बयान जारी करके कहा है कि आने वाले सप्ताह में मुख्यमंत्री शिरडी के लोगों से मिलेंगे और इस मसले का समाधान करेंगे।

Update:2020-01-19 08:54 IST

मुंबई: साईंजन्म भूमि को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा दिए गए बयान के कारण शिरडी ग्राम सभा ने रविवार को बंद का एलान किया कर दिया है। सीएम की ओर से साईं जन्मभूमि पाथरी शहर के लिए विकास निधि के ऐलान के बाद उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री के बयान से शिरडी के लोग नाराज हैं।

मुख्यमंत्री के इस निर्णय के खिलाफ रविवार को शिरडी बंद का ऐलान किया है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि साईं बाबा ने अपने जन्म और धर्म का जिक्र कभी नहीं किया और न ही साईं चरित्र में इसके बारे में कुछ लिखा हुआ है।

जब तक सीएम अपना बयान वापस नहीं लेते तबतक बंद जारी रहेगा

शिरडी ग्राम सभा ने फैसला किया है कि जब तक मुख्यमंत्री ठाकरे अपना बयान वापस नहीं लेते हैं, तब तक उनका बंद जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने शिरडी के लोगों से रविवार के बंद को वापस लेने की बात कही है। शिवसेना एमएलसी नीलम गोरे ने एक बयान जारी करके कहा है कि आने वाले सप्ताह में मुख्यमंत्री शिरडी के लोगों से मिलेंगे और इस मसले का समाधान करेंगे।

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विवाद का कारण

दरअसल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साई बाबा की जन्मस्थली के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की निधि देने की घोषणा की। इसके बाद से ही विवाद शुरू हुआ। जब अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी शहर में ही 19वीं सदी में साई बाबा का पूरा जीवन बीता था और इसी कारण यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

साईं मंदिर के पूर्व ट्रस्टी अशोक खांबेकर का कहना है कि साईंबाबा ने कभी भी अपने जन्म, धर्म पंथ के बारे में किसी को नहीं बताया। बाबा सर्वधर्मसमभाव के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को गलत जानकरी दी गई है। खांबेकर का कहना है कि मुख्यमंत्री पहले साई सत चरित्र का अध्ययन करें और उसके बाद कोई फैसला लें।

साईं बाबा के बहुत से अनुयायी शिरडी से करीब 275 किलोमीटर दूर मराठवाड़ा के परभणी जिले में स्थित पाथरी गांव को उनकी जन्मस्थली मानते हैं। लेकिन श्री साई बाबा संस्थान और शिरडी शहर के लोग इस दावे के खिलाफ हैं।

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ये है साईं बाबा का इतिहास

साईं बाबा के अद्भुत चमत्कारों की चर्चा चारों तरफ होती है। साईं बाबा के भक्त पूरी दुनिया में है। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग उनकी पूजा करते हैं। शिर्डी साईं बाबा को मानने वाले उन्हें योगी, संत, फकीर पुकारते हैं। शिर्डी साईं बाबा के धर्म और जन्म को लेकर लोगों में विरोधाभास है। कुछ लोग उन्हें हिन्दू मानते हैं तो कई लोग उन्हें मुस्लिम। साईं बाबा कहते थे कि सबका मालिक एक है।

साईं बाबा को भारत में एक महान संत के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि ये अद्भुत शक्तियों से सम्पन्न थे। बताया जाता है कि साईं एक युवास्था में फकीर के रूप में सबसे पहले शिरडी गए और जीवनभर वहीं रहे।

मान्यता है कि जो भी उनसे मिलने आया उसका जीवन बदल गया। साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर इतिहासकारों और विद्वानों में अलग-अलग मत हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इनका जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 दिसंबर के दिन साल 1835 में हुआ था। हालांकि उनके जन्म को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

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साईं सत्चरित्र नामक किताब के मुताबिक साईं 16 साल की अवस्था में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिर्डी गांव पहुंचे थे। जहां वे एक सन्यासी का जीवन व्यतीत कर रहे थे। वे हमेशा एक नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर भक्ति में लीन रहते थे। धीरे-धीरे लोग इनके उपदेशों को अपनाने लगे और इस तरह इनकी ख्याति आसपास के गांवों में बढ़ती गई।

साईं बाबा ने अपने जीवन का एक पुरानी मस्जिद में रहते थे जिसे वह द्वारका माई कहा करते थे। सिर पर सफेद कपड़ा बांधे हुए फकीर के रूप में साईं शिरडी में धूनी रमाए रहते थे। इनके इस रूप के कारण कुछ लोग इन्हें मुस्लिम मानते हैं। जबकि द्वारिका के प्रति श्रद्घा और प्रेम के कारण कुछ लोग इन्हें हिन्दू मानते हैं। लेकिन साईं ने कभी भी अपने को जाति बंधन में नहीं बांधा।

यहां साईं बाबा की समाधि है, दर्शन करने से होता है हर पाप का नाश

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिर्डी गांव में साईं का मंदिर स्थित है। इस मंदिर से आज भी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर में साईं के दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। यहां साईं बाबा की समाधि है।

सांईं बाबा ने शिर्डी में 15 अक्टूबर दशहरे के दिन 1918 में समाधि ली थी। बताया जाता है कि 27 सितंबर 1918 को साईं बाबा के शरीर का तापमान बढ़ने लगा। उन्होंने अन्न-जल सब कुछ छोड़ दिया।

बाबा के समाधिस्त होने के कुछ दिन पहले तात्या की तबीयत इतनी बिगड़ी कि जिंदा रहना मुमकिन नहीं लग रहा था। लेकिन उसकी जगह सांईं बाबा 15 अक्टूबर, 1918 को अपने नश्वर शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। उस दिन विजयादशमी (दशहरा) का दिन था।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर दे चुके हैं बयान

अशोक खांबेकर ने बताया इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर ऐसा बयान दे चुके हैं। राष्ट्रपति 1 अक्टूबर 2018 को साई बाबा समाधि शताब्दी समारोह का उद्धघाटन करने आए थे। उन्होंने भी कहा था कि पाथरी गांव साईंबाबा का जन्मस्थान है और इसके विकास के लिए मैं काम करूंगा। उस समय भी राष्ट्रपति के इस वक्तव्य का विरोध किया गया था।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पाथरी भी जाएंगे और लोगों से बात करेंगे।वहीं बीजेपी नेता और विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल ने शिरडी ग्राम सभा के बंद के आह्वान को समर्थन दिया है।

 

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