638 आतंकियों का अंत: आतंकी संगठनों का हुआ पर्दाफाश, मारे गए 116 निर्दोष
देश की सरकार ने 42 संगठनों को आतंकी संगठन करार दिया है। आतंकी संगठनों के नाम यूएपीए एक्ट की पहली अनुसूची में डाले गए हैं। इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में जानकारी दी। साल 2018 से अभी तक घाटी में 638 आतंकी मारे जा चुके हैं।
नई दिल्ली। भारत सरकार ने आतंकी संगठनों को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। ऐसे में सरकार ने 42 संगठनों को आतंकी संगठन करार दिया है। आतंकी संगठनों के नाम यूएपीए एक्ट की पहली अनुसूची में डाले गए हैं। इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में जानकारी दी। साथ ही गृह मंत्रालय ने 2018 से जम्मू कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में मारे गए नागरिकों और आतंकियों का भी आंकड़ा जारी किया है।
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42 संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित
ऐसे में आतंकी संगठनों के बारे में गृह मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि देश में बड़े पैमाने पर सीमा पार से आतंकवाद प्रायोजित किया जा रहा है। सरकार ने 42 संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया है और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की पहली अनुसूची में उनके नाम सूचीबद्ध किए हैं।
साथ ही सरकार की तरफ से बताया गया कि वर्ष 2018 में देश के अन्य हिस्सों में 03 लोगों की मौत हुई। इसके बाद के साल 2019, 2020 और 15 फरवरी 2021 तक देश के अन्य हिस्सों में कोई आतंकवादी मारा गया न ही कोई आम नागरिक मारा गया।
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39 नागरिकों की मौत
वहीं सामने आए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 257 आतंकियों को मारा गया जबकि 39 नागरिकों की मौत हुई। साल2019 की बात करें तो इसमें 157 आतंकियों को मार गिराया गया जबकि इस साल भी 39 नागरिकों की मौत हुई। वहीं 2020 में 221 आतंकियों को ढेर किया गया जबकि 37 नागरिकों की मौत हुई। फिर 15 फरवरी 2021 तक 3 आतंकियों को मार गिराया गया और 1 नागरिक की मौत हुई।
इसी कड़ी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि देश में 230 लोगों को सीआरपीएफ और सीआईएसएफ जैसे केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों द्वारा ‘जेड प्लस’, ‘जेड’ और ‘वाई’ श्रेणियों के तहत सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
आगे उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा प्राप्त लोगों की केंद्रीय सूची में शामिल व्यक्तियों के समक्ष जोखिम के बारे में केंद्रीय एजेंसियों के आकलन के आधार पर उन्हें सुरक्षा दी जाती है तथा इसकी समय-समय पर समीक्षा की जाती है। इस तरह की समीक्षा के आधार पर सुरक्षा कवर जारी रखने, वापस लेने या संशोधित करने का फैसला होता है।’’
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