किसान आंदोलन के फोकस में उत्तर प्रदेश, अब चुनावी राजनीति का रंग
किसानों का ये आंदोलन अब उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति की ओर बढ़ सकता है। यूपी में अगले साल चुनाव होना है। कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी वगैरह को अपनी चुनावी जमीन तैयार करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर से बढ़िया शुरुआत कोई और नहीं मिल सकती।
लखनऊ: दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले में आता है। सो, जो किसान वहां जमे हैं वो उत्तर प्रदेश में हैं। इन आंदोलित किसानों के नेता हैं राकेश टिकैत जिनको अब राष्ट्रीय लोकदल का साथ भी मिल गया है। किसानों का ये आंदोलन अब उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति की ओर बढ़ सकता है। यूपी में अगले साल चुनाव होना है। कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी वगैरह को अपनी चुनावी जमीन तैयार करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर से बढ़िया शुरुआत कोई और नहीं मिल सकती। सो अब ये आंदोलन यूपी के असेम्बली चुनाव की ओर रुख करेगा।
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भाजपा की ओर रहा राकेश टिकैत झुकाव
राकेश टिकैत फिलहाल केंद्र सरकार से मोर्चा लिए हुए हैं। लेकिन उनका झुकाव पहले भाजपा की ओर रहा बताया जाता है। टिकैत खुद मानते हैं कि उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। उनके जाट बहुल सिसौली गांव के अधिकांश लोगों ने भी यही किया था शायद इसलिए भी कि भाजपा प्रत्याशी संजीव कुमार बालियान उसी बालियान खाप के हैं जिसके अगुवा राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश हैं।
चुनाव भी लड़ चुके हैं टिकैत
राकेश टिकैत खुद भी 2007 का यूपी असेम्बली चुनाव कांग्रेस के समर्थन से लड़ चुके हैं। खतौली से उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन छठे नम्बर पर रहे। इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। रालोद के टिकट पर अमरोहा से खड़े हुए पर सिर्फ 9539 वोट पा सके। बहरहाल, दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान धरने में टिकैत का भारतीय किसान यूनियन पहले पंजाब के किसान नेता वी एम सिंह के भारतीय किसान मजदूर संगठन का जूनियर सहयोगी था। लेकिन अब वी एम सिंह पीछे हट चुके हैं और कमान टिकैत के हाथ में है।
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वी एम सिंह के हटने के बाद अब राकेश टिकैत पश्चिम यूपी कर अविवादित किसान नेता बन गए हैं। रालोद और इनेलोद के समर्थन मिल जाने से राकेश का कद बढ़ चुका है। यही नहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल का भी समर्थन राकेश को है।
नीलमणि लाल