Success Story: पिता ने घर बेचकर पढ़ाया, बेटा बना IAS अधिकारी

अगर आपमें सपनों को पूरा करने का लगन है तो उस सपने को आपसे कोई नहीं छीन सकता। ऐसा ही सपना लेकर बिहार मूल के इंदौर निवासी प्रदीप सिंह ने देखा था। प्रदीप सिंह साल 2019 की सिविल सेवा परीक्षा में 26वीं रैंक हासिल किया था।

Update: 2021-02-25 06:54 GMT
Success Story: पिता ने घर बेचकर बेटे को पढ़ाया, बेटा बना बड़ा अधिकारी

नई दिल्ली: अगर आपमें सपनों को पूरा करने का लगन है तो उस सपने को आपसे कोई नहीं छीन सकता। ऐसा ही सपना लेकर बिहार मूल के इंदौर निवासी प्रदीप सिंह ने देखा था। प्रदीप सिंह साल 2019 की सिविल सेवा परीक्षा में 26वीं रैंक हासिल किया था। बेहद साधारण परिवार से तालुक रखने वाले प्रदीप सिंह ने साल 2018 में 93वीं रैंक हासिल करके आईआरएस बन गए थे।

कम उम्र के आईआरएस अधिकारी

22 वर्ष की उम्र में वह आईआरएस बनने में सफलता हासिल की थी। वो सबसे कम उम्र के आईआरएस अधिकारी बने। लेकिन उनका सपना अभी आकार नहीं हुआ था। उन्हें तो आईएएस अधिकरी बनना था। जिसे उन्होंने पूरा करके ही दम लिया। उन्हें यह सफलता अपने चौथे प्रयास के बाद मिली।

तैयारियों में जुटे रहे

भले ही प्रदीप सिंह आईआरएस बन गए हो लेकिन वह बताते हैं कि उन्होंने पहले प्रयास में यूपीएएसी में 93वीं रैंक हासिल करने के बाद भी जब तक रैंक अलाटमेंट नहीं हुई तब तक वह अगले अटेंप्ट की तैयारी में जुटे रहे। जिसका यह परिणाम निकला कि वह दूसरे प्रयास में प्री परीक्षा असानी से पास कर गए और मेंस की तैयारी में जुट गए।

गलतियों को सुधारा

प्रदीप ने एक एक वेबसाइट से बात करते हुए बताया कि पहले प्रयास में उनकी रैंक अच्छी थी । सभी विषय में अच्छे नम्बर थे। ऐसे में ये तय करना मुश्किल था कि सुधार कहां किए जाएं।आखिर में उन्होंने सभी विषयों को थोड़ा-थोड़ा और तैयार करना शुरू किया। इसके साथ ही उन्हें इंटरव्यू में औसत अंक मिले थे। इस पर खास ध्यान दिया।

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पिता ने घर और मां ने बेचे गहने

प्रदीप सिंह एक बेहद साधारण परिवार से तालुख रखते हैं। उनके पिता मनोज सिंह एक पेट्रोल पंप पर काम करते थे। आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के बाद भी उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्वॉलिफाई किया। लेकिन इसके लिए प्रदीप को उनके पिता ने घर बेचकर दिल्ली तैयारी करने को भेजा। जिसके चलते मां के गहने भी बिक गए। इन सभी बातों को याद करते हुए भी प्रदीप पॉजिटिव रहे और तमाम मुश्किलों से सफलता हासिल की।

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