भारत में वैक्सीन जल्द: युद्धस्तर पर क्लीनिकल ट्रायल, 10 करोड़ डोज बनेंगी

भारत की दवा बनाने वाली कंपनी हेटरो, रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 के 10 करोड़ डोज हर साल बनाएगी। हेटरो और रूस के आरडीआईएफ सोवरेन वेल्थ फंड ने इसके लिए समझौते का एलान किया है।

Update:2020-11-28 17:39 IST
भारत में वैक्सीन जल्द: युद्धस्तर पर क्लीनिकल ट्रायल, 10 करोड़ डोज बनेंगी

नील मणि लाल

लखनऊ। कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए पूरी दुनिया में काम चल रहा है। भारत में भी दो स्वदेशी वैक्सीन पर काम जारी है। ये दोनों ही वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं। एक वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है और दूसरी वैक्सीन पर जाइडस कैडिला काम कर रही है। अगर ट्रायल सही तरीके से चलता है तो अगले साल तक भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में डेवलप की गयी वैक्सीन पर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया का काम जारी है।

रूसी वैक्सीन की 10 करोड़ डोज बनेगी

भारत की दवा बनाने वाली कंपनी हेटरो, रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 के 10 करोड़ डोज हर साल बनाएगी। हेटरो और रूस के आरडीआईएफ सोवरेन वेल्थ फंड ने इसके लिए समझौते का एलान किया है। इस समझौते के साथ आरडीआईएफ (रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड) अपनी वैक्सीन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्माण की कोशिशों की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है। रूसी कम्पनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल भारत में अब भी चल रहे हैं। हालांकि रूसी अधिकारियों ने इसे अगस्त में ही आधिकारिक मंजूरी दे दी है लेकिन इसकी सुरक्षा और गुणों का पता लगाने के लिए परीक्षणों का सिलसिला अब भी जारी है।

ट्रायल के नतीजों का अभी इंतजार

हेटरो कंपनी के इंटरनेशनल मार्केटिंग के निदेशक बी मुरली कृष्णा रेड्डी का कहना है- हम भारत में क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों का अभी इंतजार कर रहे हैं लेकिन हमारा मानना है कि मरीजों तक जल्दी पहुंचाने के लिए स्थानीय रूप से इसे बनाना जरूरी है। यह समझौता भारतीय प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी ध्यान में रख कर किया गया है।

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स्पुतनिक-5 की मंजूरी

भारत में एक और दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबरोटेरीज लिमिटेड भी स्पुतनिक-5 के क्लीनिकल ट्रायल कर रही है। उसका कहना है कि वह मार्च 2021 तक बाद के चरणों का ट्रायल पूरा कर लेगी। आरडीआईएफ डॉ. रेड्डीज के साथ स्पुतनिक-5 की मंजूरी के बाद उसे देश भर में पहुंचाने के लिए बात कर रही है। भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत प्रति व्यक्ति 10 डॉलर होगी। स्पुतनिक-5 का तीसरे चरण का ट्रायल बेलारुस, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और दूसरे देशों में भी चल रहा है। इस वैक्सीन के अंतरिम क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों ने दिखाया है कि स्पुतनिक-5 28वें दिन 91.4 प्रतिशत और 42वें दिन 95 फीसदी प्रभावी है।

रूस पर भरोसा नहीं

अगस्त में ही वैक्सीन बनाने की घोषणा कर रूस बाकी देशों से इस मामले में आगे निकल गया लेकिन यह ऐलान पर्याप्त क्लीनिकल ट्रायल के बगैर ही किया गया था इसलिए बहुत से देशों को इस पर उतना भरोसा नहीं हुआ। अब भी इसके तीसरे चरण के ट्रायल चल ही रहे हैं। रूस में 40 हजार लोगों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है।

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अन्य वैक्सीनें

स्पुतनिक-5 के अलावा फिलहाल अमेरिका की फाइजर और मॉडेर्ना तथा यूके की ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन की चर्चा हो रही है। अमेरिका की वैक्सीनों ने भी 90 से 95 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया है जबकि ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन औअस्तान 70 फीसदी प्रभावी है। उम्मीद की जा रही है कि अगले साल के शुरुआती महीनों में लोगों को वैक्सीन मिलना शुरू हो जाएगी।

भारत में तैयारी

भारत में केंद्र सरकार हर एक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी में जुटी हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है। इसके लिए वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की योजना है। शुरुआत में स्वास्थ्य कर्मियों और वृद्धों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जायेगी।

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चीन की वैक्सीन

चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है। चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है। अधिकांश देशों को चीन की वैक्सीन पर भरोसा नहीं है।

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