नई दिल्ली : केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ भेदभाव और बजट आवंटन में पक्षपात बरते जाने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को यूपी के सांसदों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। इस दौरान दूसरे राज्यों के सांसदों ने भी यही आरोप लगाते हुए केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस वजह से राज्यसभा को तीन बार स्थगित करना पड़ा। इसके बाद संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर पीएम मोदी पर निशाना साधा।
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माया ने की पीएम से की बयान की मांग
वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को मांग की कि पीएम मोदी को दलितों पर अत्याचार मुद्दे पर संसद में बयान देना चाहिए। मायावती ने संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में बोलीं कि हाल में दलितों के मुद्दे पर पीएम का बयान बस नुकसान की भरपाई करने की कोशिश थी। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यूपी सहित कुछ अन्य राज्यों में चुनाव से पहले रोहित वेमुला और उना जैसी घटनाएं हुईं। इससे बीजेपी की छवि खराब हुई है।
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पीएम बाहर बोल सकते हैं तो सदन में क्यों नहीं
मायावती ने कहा, हमारी पार्टी चाहती है कि दलितों से सहानुभूति जताने की बजाय पीएम को दलितों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की है कि संसद में पीएम को इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। मायावती ने कहा, यदि वह इस पर बाहर बोल सकते हैं तो वह यह बात सदन में भी कह सकते हैं।
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वेंकैया बोले नसीहत न दें
वहीं मायावती सहित विपक्षी पार्टियों के दलित मुद्दे पर बयान के बाद वेंकैया नायडू ने कहा कि 'तिलक, तराजू और तलवार को जूते मारने वाली पार्टी' हमें नसीहत न दे।