Vice President Election: अल्वा के खिलाफ धनखड़ की राह काफी आसान, भाजपा के पास अपने दम पर जीतने की ताकत
Vice President Election 2022: देश में अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछ गई है। एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया। तो विपक्ष की ओर से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
Vice President Election 2022: देश में अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछ गई है। एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के एक दिन बाद विपक्ष ने भी अपने पत्ते खोल दिए। विपक्ष की ओर से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा को चुनाव मैदान में उतारा गया है। एनसीपी के मुखिया शरद पवार के आवास पर विपक्षी दलों की बैठक के बाद पवार ने खुद मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की। विपक्षी दलों के रुख से पहले ही यह बात साफ हो गई थी कि राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी आम सहमति की जगह मतदान से ही फैसला होगा।
शिवसेना ने राष्ट्रपति के चुनाव में तो एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया मगर उपराष्ट्रपति के चुनाव में शिवसेना सांसद विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करेंगे। वैसे उपराष्ट्रपति के चुनाव में जगदीप धनखड़ की जीत पहले ही तय मानी जा रही है। राष्ट्रपति के चुनाव में तो भाजपा सहयोगी दलों के साथ ही अन्य क्षेत्रीय दलों का समर्थन लेने पर भी मजबूर हुई है मगर उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा अकेले अपने दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में दिख रही है। उसे सहयोगी दलों और अन्य क्षेत्रीय दलों की मदद लेने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
वॉकओवर नहीं देना चाहता था विपक्ष
चुनाव आयोग की ओर से उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक आज नामांकन का आखिरी दिन है जबकि 6 अगस्त को मतदान होना है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष मतदान से पहले सत्ता पक्ष को वॉकओवर नहीं देना चाहता था। भाजपा की ओर से शनिवार को धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद यह तय माना जा रहा था कि विपक्ष भी रविवार को अपने पत्ते खोल देगा। विपक्षी दलों के नेताओं को संसद के नंबर गेम की पूरी जानकारी है मगर फिर भी उन्होंने धनखड़ के खिलाफ मार्गरेट अल्वा को उतारने का फैसला किया है।
विपक्ष के एक नेता ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि हम बिना लड़ाई के भाजपा के उम्मीदवार को उपराष्ट्रपति नहीं बनने देंगे। धनखड़ के सोमवार को नामांकन के बाद मार्गरेट अल्वा आज उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन करेंगी। छह अगस्त को मतदान के बाद उसी दिन मतों की गिनती की जाएगी। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होने वाला है। उनका कार्यकाल समाप्त होने के चार दिन पहले देश को नए उपराष्ट्रपति के नाम का पता चल जाएगा।
विपक्ष की हार पहले से ही तय
सियासी जानकारों का कहना है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष की ओर से भले ही उम्मीदवार के रूप में मार्गरेट अल्वा को उतारा गया है मगर एनडीए की ताकत को देखते हुए विपक्षी उम्मीदवार की हार पहले से ही तय है। भाजपा के पास अकेले अपने दम पर उम्मीदवार को जिताने की क्षमता है जबकि उसे अन्य सहयोगी दलों का समर्थन भी हासिल होगा।
ऐसे में भाजपा की ओर से जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद उनकी आसान जीत तय मानी जा रही है। विपक्ष ने बस सत्तापक्ष से लड़ाई लड़ने के लिए ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है।
लोकसभा में भाजपा की ताकत बढ़ी
उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही मतदान करते हैं। इस चुनाव में मनोनीत सांसदों को भी मतदान करने का अधिकार हासिल है। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास अकेले अपने दम पर उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार को जिताने की ताकत है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद का नंबर गेम समझना जरूरी है।
हाल में लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने रामपुर और आजमगढ़ की दो सीटों पर जीत हासिल की थी। पहले ये दोनों सीटें समाजवादी पार्टी के कब्जे में थीं। सपा मुखिया अखिलेश यादव और मोहम्मद आजम खान के लोकसभा से इस्तीफे के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव हुए थे। भाजपा ने सपाई किलों को ध्वस्त करते हुए इन दोनों सीटों पर जीत हासिल की है। दोनों सीटों पर मिली इस जीत के साथ लोकसभा में भाजपा सांसदों की संख्या बढ़कर 303 पर पहुंच गई है।
भाजपा के पास जीत से ज्यादा वोट
हाल में विभिन्न राज्यों में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा को तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। फिर भी राज्यसभा में भाजपा के पास 92 सांसदों की ताकत है। इस तरह यदि लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो भाजपा के पास 395 सांसदों की ताकत है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए 388 सांसदों के समर्थन की जरूरत है और भाजपा के पास अकेले अपने दम पर इस संख्या से 7 ज्यादा यानी 395 सांसदों का वोट है। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास अकेले अपने दम पर उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने की क्षमता है।
अभी लोकसभा में 31 और राज्यसभा में 16 सदस्यों का समर्थन भाजपा को हासिल है। पांच नामित सदस्यों का वोट भी जोड़ दिया जाए तो एनडीए के पास 447 सांसदों का समर्थन है। इसका मतलब पूरी तरह साफ है कि मतदान से पहले ही एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जीत तय है।