Vice-President Election: धनखड़ को चुनकर भाजपा ने साधे कई समीकरण, उम्मीदवारी के पीछे पार्टी की बड़ी रणनीति
Vice President Election 2022: जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है और पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी से कई समीकरण साधने की कोशिश की है।
Vice-President Election 2022: देश में उपराष्ट्रपति के जल्द होने वाले चुनाव में एनडीए की ओर से पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा संसदीय बोर्ड (BJP Parliamentary Board) की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) ने धनखड़ के नाम का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अपने फैसलों से हमेशा चौंकाते रहे हैं और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर उन्होंने हर किसी को चौंका दिया। धनखड़ को उम्मीदवार बनाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है और पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी से कई समीकरण साधने की कोशिश की है।
उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए उन्हें किसान पुत्र बताया। भाजपा अध्यक्ष नड्डा भी उनके नाम का ऐलान करते हुए नाम से पहले किसान पुत्र जोड़ना नहीं भूले। उनकी उम्मीदवारी से भाजपा ने किसानों को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। राजस्थान की जाट बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ की उम्मीदवारी के जरिए भाजपा की राजस्थान विधानसभा चुनाव पर भी नजर है।
राजस्थान के चुनाव पर नजरें
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ के पास करीब 33 साल का सियासी अनुभव है। कानून की गहरी समझ और लंबे सार्वजनिक जीवन ने उन्हें उम्मीदवार बनने में जरूर मदद की है मगर इसके साथ ही भाजपा ने राजनीतिक समीकरण साधने की भी कोशिश की है। धनखड़ का ताल्लुक राजस्थान के झुंझुनू जिले से हैं और वे झुंझुनू लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं। सांसद बनने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में भी काम करने का मौका मिला था।
राजस्थान में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने राजस्थान के विधानसभा चुनाव पर गहराई से नजरें गड़ा रखी हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमों के बीच चल रही उठापटक के बीच भाजपा बड़ा सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटी हुई है। राजस्थान के चुनाव में हार से कांग्रेस काफी कमजोर हो जाएगी और इसी कारण भाजपा राजस्थान में कांग्रेस को बड़ा झटका देने की तैयारी में है।
जाट बिरादरी को साधने की कोशिश
धनखड़ की उम्मीदवारी के पीछे एक बड़ा कारण उनका जाट बिरादरी से जुड़ा होना भी है। राजस्थान विधानसभा की 200 में से 40 सीटों पर जाट बिरादरी प्रभावशाली भूमिका निभाती है। हरियाणा की 35 सीटों पर भी जाट मतदाता असरदार भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी जाट मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है।
भाजपा को दो साल बाद 2024 की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। ऐसे में भाजपा ने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाताओं को भी साधने की बड़ी कोशिश की है। हाल के दिनों में जाट मतदाता भाजपा से नाराज रहे हैं और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जाट प्रभुत्व वाले इलाकों में आंदोलन का बड़ा असर दिखा था। ऐसे में भाजपा की निगाहें जाट समीकरण साधने पर भी हैं।
शेखावत के बाद राजस्थान के दूसरे नेता
धनखड़ को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद राजस्थान और उनके गृह जनपद में खुशी की लहर दिख रही है। राजस्थान के कई नेताओं ने धनखड़ की उम्मीदवारी का स्वागत किया है। धनखड़ खुद भी राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
राजस्थान के लोगों का कहना है कि भैरोंसिंह शेखावत के बाद धनखड़ दूसरे ऐसे नेता होंगे जो देश के उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचेंगे। ऐसे में राजस्थान में भाजपा को इसका बड़ा सियासी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
जाट नेताओं की दूर होगी नाराजगी
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जाट नेताओं के साथ दिल्ली में बड़ी बैठक की थी। इस बैठक के दौरान जाट नेताओं ने जाट बिरादरी से देश में किसी भी बड़े पद पर किसी नेता के न होने की शिकायत दर्ज कराई थी। मोदी सरकार में जाट बिरादरी से संजीव बालियान को मंत्री बनाया गया है मगर वे भी राज्यमंत्री के पद पर ही हैं।
इस बैठक के दौरान शाह ने जाट नेताओं को भरोसा दिलाया था कि उनकी शिकायत जल्द ही दूर की जाएगी। अब भाजपा ने जाट बिरादरी से जुड़े हुए धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर जाट नेताओं की शिकायत दूर करने की बड़ी कोशिश की है। माना जा रहा है कि इसके जरिए भाजपा 2024 में जाट नेताओं को पार्टी से जोड़ने की कोशिश करेगी।
भाजपा का किसान कार्ड
धनखड़ की उम्मीदवारी से भाजपा ने किसान कार्ड खेलने की भी कोशिश की है। यही कारण है कि पीएम मोदी और नड्डा समेत भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से धनखड़ को किसान पुत्र बताने की कोशिश में जोरशोर से की गई है। मोदी सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों में जबर्दस्त नाराजगी दिखी थी। इसके खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर बड़ा आंदोलन छेड़ा था।
किसानों के इस बड़े आंदोलन के कारण पीएम मोदी ने आखिरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बड़ी घोषणा कर दी थी। धनखड़ का ताल्लुक किसान परिवार से है और उनके पिता ने जीवन भर खेती किसानी से ही परिवार का लालन-पालन किया। ऐसे में धनखड़ की उम्मीदवारी के जरिए भाजपा ने किसानों कार्ड खेलने की भी पूरी कोशिश की है।
ममता के जले पर छिड़का नमक
धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने अपनी बड़ी सियासी दुश्मन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुंह भी चिढ़ाया है। पश्चिम बंगाल के गवर्नर के रूप में धनखड़ का ममता से हमेशा तनातनी का रिश्ता रहा है। 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद हमेशा उनके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से तनावपूर्ण रिश्ते रहे।
ममता ने उन्हें गवर्नर पद से हटाने के लिए कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। टीएमसी के सांसदों ने उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी की थी। ऐसे में धनखड़ की उम्मीदवारी ममता बनर्जी के जले पर नमक छिड़कने जैसी साबित हुई है।