घर-घर तैनात सेना: पूरा गांव घिरा है दुश्मन देशों से, चारों तरफ सिर्फ खतरा
सीमा पर तनातनी के चलते क्या एक बात आपको पता है- कि भारत का एक ऐसा गांव जो एक तरफ चीन से और दूसरी तरफ पाकिस्तान से घिरा हुआ है।
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख पर बीते कई दिनों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनातनी काफी जोर-शोर पर है। लेकिन सीमा पर इस तनातनी के चलते क्या एक बात आपको पता है- कि भारत का एक ऐसा गांव जो एक तरफ चीन से और दूसरी तरफ पाकिस्तान से घिरा हुआ है। दुश्मन देशों से घिरे इस गांव को शूरवीरों का गांव कहा जाता है। इस गांव का असल नाम रामपुर है। आपको ये जानकर बेहद हैरानी होगी कि इस गांव के 63 घरों के 80 लोग भारतीय सेना में हैं। सच में कितना लाजवाह गांव है ये।
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भारत के शूरवीरों का गांव
चीन और पाकिस्तान से घिरा हुआ भारत का इस गांव को भारत के शूरवीरों का गांव कहा जाता है। यहां हर घर से कोई न शख्स सेना में है और कई परिवार ऐसे हैं जिनके चार पांच सदस्य भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा में जुटे हुए हैं और देश की रक्षा के डटे हुए हैं।
साथ ही इस गांव में कई ऐसे परिवार भी है जिनकी पीढ़ियां सेना में अपनी सेवा देती आई हैं। ऐसे ही एक पूर्व फौजी सूबेदार अब्दुल बाकी के बारे में पता चला। बाकी से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने 1962 भारत चीन युद्ध में हिस्सा लिया था।
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भारतीय सेना के पास गाड़ी नहीं
भारतीय सेना के पूर्व सूबेदार अब्दुल बाकी ने बताया कि उस समय भारतीय सेना के पास गाड़ी नहीं हुआ करती थी। हम याक फिर या घोड़े से पोस्ट तक जाया करते थे और वहां पेट्रोलिंग करते थे।
आगे उन्होंने कहा, उस दौरान ज्यादा कठिन चुनौतियां थीं। ऐसे हथियार थे जिन्हें एक बार चलाने के बाद उसके नोजल की सफाई करनी पड़ती थी।
गांव में रहने वाले पूर्व सूबेदार बाकी के अनुसार, उस समय ये डर था कि तिब्बत की तरह चीन लद्दाख पर भी कब्जा ना कर ले। उन्होंने बताया कि गांव से कई लोग 1962 की लड़ाई में शहीद हो गए थे। बाकी ने ताजा विवाद को लेकर कहा कि गलवान घाटी में उस वक्त चीन नहीं था लेकिन 1962 के बाद इन्होंने इस इलाके में घुसपैठ की है।
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अब हम किसी को भी हरा सकते हैं
बात करते हुए बाकी ने बताया कि चीन का मकसद है कि वो किसी तरह हिमाचल प्रदेश को भारत से काटकर अलग कर दे और वहां के सप्लाई चेन को रोक दे। बाकी ने कहा कि अब भारतीय सेना के पास बहुत कुछ है, अब हम किसी को भी हरा सकते हैं।
इनके अलावा दूसरे पूर्व सैनिक गुलाम हैदर ने बताया कि वो खुद 1971 का युद्ध लड़ चुके हैं जबकि उनके दोनों बेटे अभी भारतीय सेना में हैं। उन्होंने कहा कि इस गांव में हर आदमी का सपना होता है कि वो सेना में जाए और देश की सेवा करे।
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